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मुंबई लोकल में बढ़ती भीड़ से रेलवे चिंतित, ऑफिस टाइमिंग बदलने की अपील — क्या दफ्तर मानेंगे गुज़ारिश?

Report By : ICN Network

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की नब्ज मानी जाने वाली लोकल ट्रेनें अब यात्रियों के लिए खतरे की घंटी बनती जा रही हैं। रोजाना बढ़ती भीड़, हादसे और जानलेवा घटनाओं से परेशान सेंट्रल रेलवे ने अब शहर के लगभग 800 सरकारी व निजी संस्थानों को पत्र भेजकर उनसे ऑफिस टाइमिंग बदलने की अपील की है।

रेलवे की इस पहल के तहत केंद्र व राज्य सरकार के दफ्तर, कॉर्पोरेट ऑफिस, बैंक, नगरपालिकाएं, कॉलेज व अन्य संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे अपनी कार्य समय सारणी में लचीलापन लाएं ताकि पिक ऑवर्स में लोकल ट्रेनों पर दबाव कम हो सके।

रेलवे के आंकड़ों के अनुसार, दैनिक 1810 लोकल ट्रेनों में 35 लाख से अधिक लोग यात्रा करते हैं, जिनमें CSMT से ठाणे तक का रूट सबसे भीड़भाड़ वाला माना जाता है। खासतौर पर सुबह 8-10 बजे और शाम 5-7 बजे के बीच ट्रेनों में तिल रखने की भी जगह नहीं रहती।

हाल ही में ठाणे के पास मुंब्रा में घटी घटना ने स्थिति की गंभीरता उजागर कर दी, जहां भीड़भरी ट्रेन से 8 यात्री गिर पड़े, कुछ की हालत गंभीर रही।

2005 से जुलाई 2024 के बीच मुंबई की लोकल ट्रेनों में 51,802 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से 29,321 मौतें सेंट्रल रेलवे और 22,481 वेस्टर्न रेलवे पर दर्ज की गई हैं। कल्याण, ठाणे, वसई और बोरीवली जैसे स्टेशनों पर सबसे ज्यादा हादसे हुए, जिनमें अधिकांश यात्री ट्रेन से गिरने या पटरी पार करते समय मारे गए।

रेलवे का कहना है कि नई रेल लाइन बिछाने की जगह नहीं है, खासकर CSMT से कल्याण सेक्शन में। ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करने का सबसे व्यावहारिक तरीका ऑफिस टाइमिंग में बदलाव है। अगर कार्यालय अपने समय में थोड़ा फेरबदल करें, तो यात्रियों को अलग-अलग समय पर यात्रा का विकल्प मिलेगा, जिससे भीड़ घटेगी और हादसे कम होंगे।

रेलवे ने हालिया घोषणा में कहा कि नई लोकल ट्रेनों में ऑटोमैटिक डोर क्लोजर सिस्टम लगाया जाएगा ताकि दरवाजों से गिरने की घटनाएं रोकी जा सकें।

रेलवे ने पहला कदम बढ़ा दिया है, अब नजर इस पर टिकी है कि मुंबई के दफ्तर, बैंक और संस्थान इस अपील पर क्या कदम उठाते हैं? क्या कोई साझा नीति बन पाएगी, जिससे मुंबई की जीवन रेखा कही जाने वाली लोकल ट्रेनें सुरक्षित और आरामदेह बन सकें?

अगर समय रहते ये परिवर्तन नहीं हुए, तो भीड़ के दबाव में जान गंवाने वालों की संख्या आने वाले समय में और भी भयावह हो सकती है।

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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