Report By Ankit Srivastava
मुंबई पुलिस के खुफिया तंत्र को और अधिक मज़बूत करने के उद्देश्य से महाराष्ट्र सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अब शहर में एक नए संयुक्त पुलिस आयुक्त (इंटेलिजेंस) की नियुक्ति की जाएगी, जो विशेष रूप से खुफिया निगरानी से जुड़ी जिम्मेदारियों को संभालेंगे। यह पद संयुक्त पुलिस आयुक्त स्तर का छठा पद होगा और इसे हाल ही में सरकार की मंज़ूरी भी मिल चुकी है।
पिछले कुछ समय से भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के मद्देनज़र राज्य सरकार ने मुंबई जैसे संवेदनशील महानगर की सुरक्षा समीक्षा की। इस दौरान यह स्पष्ट हुआ कि यहां लगातार वीआईपी मूवमेंट, आर्थिक गतिविधियाँ और संभावित आतंकी खतरे एक प्रभावशाली खुफिया नेटवर्क की मांग करते हैं। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि विशेष शाखा को और सशक्त बनाने के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को इसके नेतृत्व में नियुक्त किया जाए।
अब तक विशेष शाखा (SB) का नेतृत्व एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्त स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाता था, जो संयुक्त पुलिस आयुक्त (कानून-व्यवस्था) को रिपोर्ट करते थे। लेकिन अब यह शाखा सीधे एक संयुक्त पुलिस आयुक्त के अंतर्गत आएगी, जिनका दर्जा महानिरीक्षक (आईजी) के समकक्ष होगा। इससे न केवल निर्णय प्रक्रिया में तेजी आएगी, बल्कि खुफिया जानकारी का विश्लेषण और उस पर कार्रवाई भी अधिक प्रभावशाली रूप से हो पाएगी।
इस नई नियुक्ति के बाद अधिकारी की प्रमुख जिम्मेदारी स्लीपर सेल जैसे आतंकी नेटवर्क्स की पहचान करना और उनकी गतिविधियों पर बारीकी से निगरानी रखना होगी। साथ ही यह अधिकारी केंद्र और राज्य की अन्य एजेंसियों से प्राप्त सूचनाओं को समेकित कर, त्वरित विश्लेषण के ज़रिये पुलिस व्यवस्था को सतर्क करेंगे। जब भी कोई बड़ा आयोजन, वीआईपी दौरा या सुरक्षा-संवेदनशील स्थिति होगी, तो ये अधिकारी रियल-टाइम इंटेलिजेंस सहायता प्रदान करेंगे।
मुख्यमंत्री-गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस पहले ही संकेत दे चुके हैं कि राज्य में स्लीपर सेल्स जैसी गतिविधियों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नए पद से खुफिया इकाई को न केवल और अधिक अधिकार मिलेंगे, बल्कि ज़रूरी फैसलों तक उनकी पहुंच भी तेज़ होगी। इससे मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया नेटवर्क को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद की जा रही है।