नोएडा में अभी तक 2010 में प्राधिकरण की तरफ से बनाए गए बिल्डिंग बायलॉज लागू हैं। यह बायलॉज फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) पर आधारित था। इसमें यह देखा जाता था कि प्लॉट कितना बड़ा है और कितना निर्माण हो सकता है। इसके बाद उसी आधार पर नक्शा प्राधिकरण पास कर देती है।
अब भारतीय मानक ब्यूरों (बीआईसी) की ओर से तैयार बिल्डिंग बायलॉज 2023 का अध्ययन किया जाएगा। ऐसे में नोएडा बिल्डिंग बायलॉज 2010 में संशोधन किया जाएगा। जिसे तीनों प्राधिकरण में लागू किया जाएगा।
नोएडा में बिल्डिंग बायलॉज एनबीसी 2005 के आधार पर तैयार की गई है। एनबीसी 2005 को साल 2016 में संशोधन किया गया। भारत सरकार द्वारा मॉडल बिल्डिंग बायलॉज को भी 2016 में संशोधन किया गया। बीतें कई सालों में और ज्यादा संशोधन किए गए। जिसके लिए नोएडा बिल्डिंग बायलॉज 2010 में व्यापक संशोधन की आवश्यकता है। यही नहीं भारतीय विकास ब्यूरो में बिल्डिंग बायलॉज में 190 परिभाषाएं दी है। जबकि नोएडा बिल्डिंग बायलॉज 66 परिभाषा दी गई है।नए बिल्डिंग बायलॉज में खिड़की से लेकर वेंटिलेशन के लिए ऐग्जास्ट लगाने तक के मानक व परिभाषा तय कर प्राधिकरण को बताए गए हैं। ग्रुप हाउसिंग में फ्लोर एरिया रेश्यो भी घटाने की सुझाव दिया गया है। ऐसा होने पर इमारतों की ऊंचाई कम होगी। 200 पेज से ज्यादा की एक किताब नए बायलॉज की तैयार कर प्राधिकरण को सौंपी गई है। अब प्राधिकरण नए प्रस्तावित नियमों का अध्ययन कर रही है। यह सभी नियम नोएडा को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
नए बिल्डिंग बायलॉज की जरूरत मौजूदा इंडस्ट्री व हाउसिंग ट्रेंड में बदलाव को देखते हुए पड़ी है। अब डेटा सेंटर, आईटी-आईटीएस, ईवी-व्हीकल जैसे उद्योगों के लिए अलग-अलग नीतियां आ चुकी हैं। लेकिन बिल्डिंग बायलॉज वहीं पुराने है। ईवी की इंडस्ट्री उसी तरह से नहीं बनाई जा सकती जैसे नट बोल्ट या अन्य पुरानी इंडस्ट्री बनी हुई है। इसके साथ ही प्लॉट पर निर्माण के लिए नक्शा पास करने के मानक सेटबैक, ग्राउंड कवरेज, एफएआर, ग्रीन एरिया, ओपन एरिया, लैंड यूज समेत अन्य मानक भी परिभाषित हो गए हैं।
तीनों प्राधिकरण की कम्बाइंड समिति करेगी अध्ययन भारतीय मानक ब्यूरों (बीआईसी) की ओर से तैयार बिल्डिंग बायलॉज 2023 का अध्ययन करते हुए नोएडा बिल्डिंग बायलॉज को संशोधित करने के लिए नोएडा के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी की अध्यक्षता में तीनों प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटरनोएडा और यमुना विकास के प्रशासनिक, नियोजन, परियोजना और विधि विभाग के अधिकारियों की समिति का गठन किया जाना प्रस्तावित है।