Report By : ICN Network
नए नोएडा की घोषणा मास्टर प्लान बनाए बिना होने के कारण इलाके में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण तेजी से फैल गया है। विभिन्न स्थानों पर अवैध कॉलोनियां बस गई हैं, साथ ही पैरिफेरल एक्सप्रेसवे और दादरी बाइपास के आसपास वेयरहाउस भी तेजी से बन रहे हैं।
अवैध निर्माण को रोकने के लिए प्राधिकरण अभी तक अतिक्रमण हटाने वाले दस्ते का गठन नहीं कर सका है। हालांकि, अधिसूचित क्षेत्र में निर्माण नियमों के पालन के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो नियमों की जानकारी देने और चेतावनी बोर्ड लगाने का काम कर रहे हैं। प्राधिकरण को कुल 21 हजार हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना है, जिसमें से करीब चार हजार हेक्टेयर भूमि पर अवैध निर्माण हो चुका है। इस अवैध निर्माण को हटाना प्राधिकरण के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा।
बता दें कि औद्योगिक विकास को गति देने के लिए शासन ने जनवरी 2021 में शासन ने दादरी-नोएडा गाजियाबाद विशेष निवेश क्षेत्र (डीएनजीआइआर) की घोषणा की थी। नोएडा प्राधिकरण को इसे विकसित करने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन जिन गांवों की जमीन यह विकसित किया जाना था, वह ग्रेटर नोएडा के अधिसूचित क्षेत्र में पड़ते हैं।
इस कारण नोएडा ने डीएनजीआइआर परियोजना को विकसित करने से इनकार कर दिया। इसके बाद जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण को सौंपने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन लगभग छह हजार करोड़ रुपये के कर्ज में डूबे होने के कारण ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने इस जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। अंततः जुलाई 2022 में यह जिम्मेदारी फिर से नोएडा प्राधिकरण को दे दी गई।
इसी बीच कॉलोनाइजरों ने नए शहर की घोषणा का फायदा उठाकर गांवों के आस-पास अवैध कॉलोनियों का निर्माण शुरू कर दिया। करीब 80 गांवों की लगभग 21 हजार हेक्टेयर भूमि में से कॉलोनाइजरों ने करीब चार हजार हेक्टेयर जमीन पर अवैध निर्माण करा लिया है। परिफेरल एक्सप्रेसवे के आसपास बड़ी संख्या में वेयरहाउस बन गए हैं। दादरी बाइपास, धूम मानिकपुर, बिसहाड़ा, जारचा, नई बस्ती, चिटहेरा जैसे कई गांवों में वेयरहाउसों की भारी तादाद में वृद्धि हुई है।
इन गांवों के साथ-साथ ऊंचा अमीरपुर, प्यावली, गुलावठी, गालंद, धौलाना, मसूरी मार्ग आदि इलाकों में भी अवैध कॉलोनियों का विस्तार हो रहा है। इसका मुख्य कारण 2021 में घोषणा के बाद जमीन की निगरानी के लिए कोई विशेष दस्ता न बनना और अवैध निर्माण पर नियंत्रण न होना है। जनवरी 2021 से दिसंबर 2023 तक सबसे ज्यादा अवैध निर्माण हुआ। प्राधिकरण ने 18 अक्टूबर 2024 को मास्टर प्लान तैयार कर इसे जारी किया है।