Report By : ICN Network
सरकार और प्रशासन का उद्देश्य अधिक से अधिक बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाना है, साथ ही उन बच्चों को भी शिक्षा की मुख्यधारा में लाना है जिन्होंने पढ़ाई बीच में छोड़ दी थी। इसके लिए विभिन्न स्तरों के अधिकारी और कर्मचारी गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। हालांकि, शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण ये प्रयास अधिक प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं। एक महीने से अधिक समय बीत जाने के बावजूद स्कूलों में किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं, जिससे बच्चों को पढ़ाई में काफी कठिनाई हो रही है। बिना किताबों के बच्चे स्कूल तो जा रहे हैं, लेकिन पढ़ाई में कोई प्रगति नहीं हो पा रही।
हर साल शिक्षा विभाग किताबों की आपूर्ति के लिए ठेकेदारों को नियुक्त करता है, लेकिन ये ठेकेदार अक्सर समय पर किताबें नहीं भेजते, जिससे बच्चों को बाजार से नई किताबें खरीदनी पड़ती हैं। इस बार कक्षा 6 का पाठ्यक्रम बदलने के कारण बच्चों को नई किताबों की जरूरत थी, लेकिन फिर भी ठेकेदार ने कक्षा 1, 2, और 6 से लेकर 8वीं कक्षा तक की किताबें स्कूलों में नहीं भेजी। केवल कक्षा 3, 4 और 5 की किताबें स्कूलों में पहुंची हैं।
प्रशासन और शिक्षा विभाग के प्रयासों से बाल वाटिका 3 में बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई है। अब तक जिला नूंह के सरकारी स्कूलों में लगभग 6 हजार बच्चों ने दाखिला लिया है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। अनुमान है कि इस वर्ष दाखिलों की संख्या पिछले साल के 10,500 से अधिक होगी।
एफएलएन कॉर्डिनेटर कुसुम मलिक ने बताया कि फिलहाल कक्षाओं में बच्चों को पुराने पाठ्यक्रम को ठीक से समझाने के लिए क्लास रेडीनेस प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं। 25 मई तक यह कार्यक्रम जारी रहेगा और उसके बाद बच्चों को किताबों की आवश्यकता होगी। उम्मीद की जा रही है कि किताबें जल्दी स्कूलों में उपलब्ध हो जाएंगी।
अभिभावकों ने बताया कि हर साल किताबों के इंतजार में बच्चों को बाजार से किताबें खरीदनी पड़ती हैं। वे सरकार और प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न आए।
शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि कक्षा 6 से 8 तक की किताबें जल्द ही स्कूलों में पहुंचा दी जाएंगी।