NIA को अपनी जांच के दौरान जो सुराग मिले हैं, उनसे पता चल गया है कि TRF को किन देशों से फंडिंग मिल रही है. बताते चलें कि The Resistance Front ने Pahalgam Attack की जिम्मेदारी ली थी.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) की फंडिंग को लेकर बड़ा खुलासा किया है. TRF, लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-E-Taiba) का प्रॉक्सी ग्रुप है, जिसने पहलगाम हमले (Pahalgam Attack) के दौरान 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या की जिम्मेदारी ली थी.
NIA ने भारत विरोधी तत्वों और चरमपंथ समर्थकों से जुड़े 463 फोन कॉल्स की जांच की. जिससे TRF के फंडिंग चैनल का पर्दाफाश हुआ है. जांच के दौरान जो सुराग मिले हैं, उनसे पता चलता है कि TRF को पाकिस्तान, मलेशिया और खाड़ी देशों से पैसा मिला है. जिसका इस्तेमाल TRF ने पूरे उपमहाद्वीप में आतंकवाद फैलाने के लिए किया.
NIA ने पाया है कि TRF को मलेशिया के रहने वाले यासिर हयात के जरिए लगभग 9 लाख रुपये की फंडिंग मिली थी. साथ ही लश्कर-ए-तैयबा के मोस्ट वांटेड आतंकवादी साजिद मीर के नेटवर्क से भी उसके संबंध थे. NIA ने इन लोगों के मोबाइल डेटा, सोशल मीडिया चैट, बैंक ट्रांजेक्शन और कॉल रिकॉर्ड से भी अहम जानकारी हासिल की है.
यह सफलता जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर और हंदवाड़ा में उनकी सफल छापेमारी के बाद मिली है. एजेंसी को TRF की विदेशी फंडिंग से जुड़े अहम दस्तावेज मिले हैं, जिनमें फंड से जुड़े खातों और फंडिंग सोर्स की पुख्ता जानकारी भी शामिल है.
क्या है TRF?
TRF को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद साल 2019 में अस्तित्व में लाया गया. लश्कर-ए-तैयबा ने इसे जम्मू-कश्मीर में स्पेशल ऑपरेशन के लिए तैयार किया था. पाकिस्तानी सेना और ISI से TRF को मदद मिलती है. TRF का सरगना मुहम्मद अब्बास शेख और शेख सज्जाद गुल है, दोनों ही हाफिज सईद के खास भरोसेमंद हैं.