पटना के आलमगंज इलाके में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। बरसों से बंद पड़े एक परिसर में लगभग 500 साल पुराना शिव मंदिर मिला है। यह मंदिर जमीन के अंदर धंस गया था, जिसकी वजह से इसे लोग भूल गए थे। अब इसे खोजे जाने के बाद स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल है। जानकारी के मुताबिक, यह परिसर लंबे समय से बंद पड़ा था और इसकी स्थिति जर्जर हो चुकी थी। हाल ही में इसे साफ-सफाई के दौरान लोगों ने मंदिर का पता लगाया। जब मंदिर के आसपास की मिट्टी हटाई गई, तो वहां भगवान शिव की मूर्ति और अन्य धार्मिक चिन्ह दिखाई दिए। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने यहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी है। मंदिर का ऐतिहासिक महत्व माना जा रहा है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह मंदिर भारतीय इतिहास और वास्तुकला के एक महत्वपूर्ण दौर का प्रतीक है। मंदिर की संरचना में उस समय की कारीगरी की झलक मिलती है, जो इसे और खास बनाती है। हालांकि, समय के साथ यह मंदिर जमीन के अंदर धंस गया था और लोग इसे भूल चुके थे। स्थानीय निवासियों की भूमिका मंदिर मिलने के बाद, स्थानीय लोगों ने इसकी देखरेख और पूजा की जिम्मेदारी संभाली है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। प्रशासन से भी इस मंदिर के संरक्षण और पुनर्निर्माण की मांग की जा रही है। यह खोज न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग से उम्मीद है कि इस मंदिर को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे
पटना के आलमगंज में 500 साल पुराना शिव मंदिर मिला, लोगों ने पूजा शुरू की
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पटना के आलमगंज इलाके में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। बरसों से बंद पड़े एक परिसर में लगभग 500 साल पुराना शिव मंदिर मिला है। यह मंदिर जमीन के अंदर धंस गया था, जिसकी वजह से इसे लोग भूल गए थे। अब इसे खोजे जाने के बाद स्थानीय लोगों में उत्साह का माहौल है। जानकारी के मुताबिक, यह परिसर लंबे समय से बंद पड़ा था और इसकी स्थिति जर्जर हो चुकी थी। हाल ही में इसे साफ-सफाई के दौरान लोगों ने मंदिर का पता लगाया। जब मंदिर के आसपास की मिट्टी हटाई गई, तो वहां भगवान शिव की मूर्ति और अन्य धार्मिक चिन्ह दिखाई दिए। इसके बाद स्थानीय निवासियों ने यहां पूजा-अर्चना शुरू कर दी है। मंदिर का ऐतिहासिक महत्व माना जा रहा है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह मंदिर भारतीय इतिहास और वास्तुकला के एक महत्वपूर्ण दौर का प्रतीक है। मंदिर की संरचना में उस समय की कारीगरी की झलक मिलती है, जो इसे और खास बनाती है। हालांकि, समय के साथ यह मंदिर जमीन के अंदर धंस गया था और लोग इसे भूल चुके थे। स्थानीय निवासियों की भूमिका मंदिर मिलने के बाद, स्थानीय लोगों ने इसकी देखरेख और पूजा की जिम्मेदारी संभाली है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे हैं। प्रशासन से भी इस मंदिर के संरक्षण और पुनर्निर्माण की मांग की जा रही है। यह खोज न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। स्थानीय प्रशासन और पुरातत्व विभाग से उम्मीद है कि इस मंदिर को संरक्षित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे