Report By : Himanshu Garg (Jharkhand)
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। राम भक्तों में एक अलग ही उमंग देखने को मिल रही है। इसका इतिहास लगभग 491 वर्ष पुराना है। इस दौरान कई उतार चढ़ाव भी आए। लेकिन रामभक्तों ने हार नहीं मानी। जिसका परिणाम आज सबके सामने है। इसी में शामिल है एक झारखंड की रहने वाली 85 वर्षीय की बुजुर्ग महिला। जिनका 22 जनवरी को सपना सच होने वाला है। दरअसल, बुजुर्ग महिला का सपना था कि अयोध्या में राम मंदिर बने। वहीं अब 22 जनवरी को सपना सच होने पर 85 साल की बुजुर्ग महिला तीन दशक से जारी अपना ‘मौन व्रत’ तोड़ देंगी।
बुजुर्ग महिला के परिवारवालों का दावा है कि 1992 में जिस दिन बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, उसी दिन सरस्वती देवी ने प्रतिज्ञा की थी कि वह इसे तभी तोड़ेंगी, जब राम मंदिर का उद्घाटन होगा।
अयोध्या के लिए हुई रवाना
बता दें मंदिर का उद्घाटन देखने के लिए धनबाद निवासी सरस्वती देवी सोमवार रात ट्रेन से अयोध्या के लिए निकल पड़ी है। सरस्वती देवी को अयोध्या में ‘मौनी माता’ के नाम से जाना जाता है। वह सांकेतिक भाषा के माध्यम से परिवार के सदस्यों के साथ संवाद करती हैं। वह लिखकर भी लोगों से बात करती हैं लेकिन जटिल वाक्य लिखती हैं। उन्होंने ‘मौन व्रत’ से कुछ समय का विराम लिया था और 2020 तक हर दिन दोपहर में एक घंटे बोलती थीं। लेकिन जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंदिर की नींव रखी, उस दिन से उन्होंने पूरे दिन का मौन धारण कर लिया।
इसको लेकर सरस्वती देवी के सबसे छोटे बेटे हरेराम अग्रवाल का कहना है कि ‘6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, तब मेरी मां ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण तक मौन धारण करने की शपथ ली। जब से मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तारीख की घोषणा की गई है, तब से वह बहुत खुश हैं।’
पति की मृत्यु के बाद भगवान राम को समर्पित किया जीवन
वहीं परिवार के सदस्यों का कहना है कि 4 बेटियों समेत 8 बच्चों की मां देवी ने 1986 में अपने पति देवकीनंदन अग्रवाल की मृत्यु के बाद अपना जीवन भगवान राम को समर्पित कर दिया और अपना अधिकांश समय तीर्थयात्राओं में बिताया।