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निठारी कांड: सुप्रीम कोर्ट से कोली और पंढेर को राहत, पीड़ित परिवारों में आक्रोश और मायूसी

निठारी कांड: सुप्रीम कोर्ट से कोली और पंढेर को राहत, पीड़ित परिवारों में आक्रोश और मायूसी

नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए मुख्य आरोपियों सुरेंद्र कोली और मनिंदर सिंह पंढेर को लगभग सभी मामलों में बरी कर दिया। इस फैसले से एक ओर जहां कोली और पंढेर को राहत मिली, वहीं दूसरी ओर पीड़ित परिवारों में गहरा आक्रोश और भावनात्मक उबाल देखने को मिला।गौरतलब है कि यह मामला 2006 में नोएडा के निठारी गांव से सामने आया था, जहां एक के बाद एक बच्चों और महिलाओं के गायब होने की खबरें आईं और फिर घर के पीछे कंकालों का नरसंहार जैसा मंजर सामने आया। इस भयावह हत्याकांड ने देश को झकझोर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में यह मामला तब पहुंचा जब सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर की। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में दोनों आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने फैसले में हाई कोर्ट के निर्णय को सही ठहराया और सीबीआई की याचिका खारिज कर दी।लेकिन इस न्यायिक फैसले के बाद पीड़ित परिवारों के जख्म फिर हरे हो गए। सुनीता और झब्बू लाल, जिनकी 10 वर्षीय बेटी ज्योति का कंकाल निठारी के उसी घर के पीछे मिला था जहां से अन्य पीड़ितों के अवशेष बरामद हुए थे, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बेहद भावुक हो उठे।

सुनीता ने कहा, हमें न्याय नहीं मिला। जिस बेटी को हमने खोया, उसकी हत्या का कोई दोषी नहीं बचा! हम अब ऊपर वाले की अदालत में भरोसा रखते हैं।वहीं झब्बू लाल ने कहा, “यह सरासर अन्याय है। जिनके घर से हमारे बच्चों के कंकाल मिले, उन्हें कैसे छोड़ सकते हैं? इन्हें फांसी होनी चाहिए थी। पीड़ित परिवारों ने अदालत के फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि वे इस फैसले को ‘न्याय की हार’ मानते हैं। उन्होंने मांग की है कि इस मामले की पुनः समीक्षा की जाए और दोषियों को कठोरतम सजा मिले।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

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