इस मामले में प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने बीते दिनों विभागीय अफसरों की समीक्षा बैठक लेकर शिकायत निस्तारण की बात भी कही थी। इसके बावजूद आईजीआरएस पर प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण में शिथिलता बरती गई। जिसके आधार पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. लोकेश एम ने सोमवार को दो ओएसडी समेत आठ अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की। अधिकारियों के पास 12 शिकायतें लंबित पाई गईं। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने वेतन रोकने की कार्रवाई करते हुए सख्त निर्देश भी जारी किए हैं। इन अधिकारियों पर कार्रवाई विशेष कार्याधिकारी ग्रुप हाउसिंग क्रांति शेखर सिंह विशेष कार्याधिकारी भूलेख अरविंद कुमार सिंह महाप्रबंधक सिविल एके अरोड़ा महाप्रबंधक जन स्वास्थ्य एसपी सिंह महाप्रबंधक जल आरपी सिंह महाप्रबंधक नियोजन मीना भार्गव सहायक महाप्रबंधक औद्योगिक प्रिया सिंह सहायक महाप्रबंधक आवासीय भूखंड संजीव कुमार बेदी आमजन को हो रही परेशानी विभागीय खेल के बीच आमजन की समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। विभागीय अफसरों की लापरवाही के कारण शिकायत करने वाले पीड़ितों को समाधान मिलने में काफी समय लग रहा है। नियमित समय में निस्तारण न होने से पीड़ितों की मुश्किलों में इजाफा हो रहा है। तय समय में गुणवत्तापूर्ण समाधान मिलने से ही पीड़ितों को राहत मिल सकेगी।
नोएडा: दो ओएसडी समेत आठ अफसरों का वेतन रोका
इस मामले में प्राधिकरण के सीईओ डॉ. लोकेश एम ने बीते दिनों विभागीय अफसरों की समीक्षा बैठक लेकर शिकायत निस्तारण की बात भी कही थी। इसके बावजूद आईजीआरएस पर प्राप्त होने वाली शिकायतों के निस्तारण में शिथिलता बरती गई। जिसके आधार पर प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. लोकेश एम ने सोमवार को दो ओएसडी समेत आठ अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की। अधिकारियों के पास 12 शिकायतें लंबित पाई गईं। मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने वेतन रोकने की कार्रवाई करते हुए सख्त निर्देश भी जारी किए हैं। इन अधिकारियों पर कार्रवाई विशेष कार्याधिकारी ग्रुप हाउसिंग क्रांति शेखर सिंह विशेष कार्याधिकारी भूलेख अरविंद कुमार सिंह महाप्रबंधक सिविल एके अरोड़ा महाप्रबंधक जन स्वास्थ्य एसपी सिंह महाप्रबंधक जल आरपी सिंह महाप्रबंधक नियोजन मीना भार्गव सहायक महाप्रबंधक औद्योगिक प्रिया सिंह सहायक महाप्रबंधक आवासीय भूखंड संजीव कुमार बेदी आमजन को हो रही परेशानी विभागीय खेल के बीच आमजन की समस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। विभागीय अफसरों की लापरवाही के कारण शिकायत करने वाले पीड़ितों को समाधान मिलने में काफी समय लग रहा है। नियमित समय में निस्तारण न होने से पीड़ितों की मुश्किलों में इजाफा हो रहा है। तय समय में गुणवत्तापूर्ण समाधान मिलने से ही पीड़ितों को राहत मिल सकेगी।

