Report By : Rishabh Singh,ICN Network
संजय लीला भंसाली वेब सीरीज ‘हीरामंडी: द डायमंड बाजार’ के जरिए ओटीटी पर डेब्यू कर रहे हैं। यह सीरीज 1940 के दशक के लाहौर हीरामंडी के तवायफों की कहानी है। जिसमें दिखाया गया है कि देश को आजाद कराने में तवायफों का भी कितना बड़ा योगदान रहा है। लेकिन तारीखों में उन्हें दर्ज नहीं किया गया।
सीरीज की कहानी एक ऐसे शाही मोहल्ले हीरामंडी की है, जहां तवायफों के पास पावर है। सीरीज की कहानी मल्लिकाजान नाम की तवायफ के इर्द गिर्द घूमती है। यह किरदार मनीषा कोइराला ने निभाया है। मल्लिकाजान का उनकी भतीजी फरीदन से एक अलग ही लड़ाई चल रही है। मल्लिकाजान की बेटी आलमजेब को शायरी करने का बहुत शौक है। वो इस पेशे से दूर जाना चाहती है। लेकिन मल्लिकाजान शायरी से नफरत करती हैं। वो चाहती हैं कि आलमजेब भी उसी फील्ड में आ जाए। मल्लिकाजान की दूसरी बेटी बिब्बोजान आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों की मदद करती है। सीरीज में वफा, बेवफाई और नफरत की कहानियों के बीच में आजादी की लड़ाई दिखाई गई है।
हीरामंडी में सिर्फ नवाबों का आना जाना है। लेकिन जैसे ही नवाबों को पता चलता है कि हीरामंडी की तवायफें उनके पैसों से स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करती हैं। वे हीरामंडी में आना जाना बंद कर देते हैं। नवाबों का मानना है कि अगर वे हीरामंडी को बसा सकते हैं तो उसे उजाड़ भी सकते हैं। उस समय स्वतंत्रता सेनानी उनकी नजर में बागी थे। नवाबों के हीरामंडी में ना आने के फैसले से वहां की तवायफों पर कोई फर्क नहीं पड़ता। पहले वे चोरी छुपे स्वतंत्रता सेनानियों की मदद करती थी। बाद में खुले आम इंकलाब का नारा लगाते हुए आजादी की लड़ाई में कूद पड़ती हैं।
संजय लीला भंसाली की खासियत यह होती है कि उनकी फिल्मों में महिला किरदार उभरकर नजर आती हैं। इस सीरीज में भी यही नजर आया है। सीरीज में भी महिला किरदार को बहुत ही स्ट्रांग तरीके से पेश किया है। मल्लिकाजान के किरदार में जितना पावरफुल मनीषा कोइराला लगी हैं। उतना ही लज्जो के किरदार में ऋचा चड्डा का दर्द भरा किरदार उभर कर आया है। टूटे हुए सच्चे दिल के आशिक उनके किरदार से खुद को कनेक्ट करेंगे।
सोनाक्षी सिन्हा ने फरीदन का किरदार निभाया है। उनके करियर की अब तक का यह बेस्ट परफार्मेंस है। सीरीज में सोनाक्षी सिन्हा ने मनीषा कोइराला को जबरदस्त टक्कर दी है। मल्लिकाजान की बेटी बिब्बोजान की भूमिका में अदिति राव हैदरी बहुत ही खूबसूरत और संजीदा लगी हैं। संजय लीला भंसाली की भांजी शर्मीन सहगल ने मल्लिकाजान की दूसरी बेटी आलमजेब की भूमिका में थोड़ा सा कमजोर नजर आई हैं। वहीदा के किरदार में संजीदा शेख की मेहनत नजर आती है।
महिला किरदारों के अलावा अगर सीरीज के पुरुष किरदारों की बात करें तो ताजदार के किरदार में ताहा शाह बदुशा का पॉजिटिव रोल है। वह भी आजादी की लड़ाई में शामिल हैं। ताहा शाह बदुशा ने अपने किरदार को अच्छे से निभाया है। वली मोहम्मद के रूप में फरदीन खान बहुत लंबे समय के बाद वापसी कर रहें हैं। फरदीन ने भी अपने किरदार को बहुत अच्छे तरीके से निभाया है। जहां तक शेखर सुमन और अध्ययन सुमन की बात है, तो शेखर सुमन ने जुल्फिकार और अध्ययन सुमन ने जोरावर का किरदार निभाया है। दोनों का किरदार छोटा और कमजोर है।