उत्तरी जिला पुलिस उपायुक्त राजा बांठिया ने बताया कि बुराड़ी निवासी मुकेश कुमार नामक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 22 लाख रुपये साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। पीड़ित ने बताया कि उसने अप्रैल माह में फेसबुक पर निवेश का एक विज्ञापन देखा था। मुकेश ने उसमें रुचि दिखाई और निवेश के लिए छानबीन शुरू की। पीड़ित को बताया कि उनकी कंपनी सेबी से रजिस्टर्ड है। इसके बाद पीड़ित को एक व्हाट्सएप ग्रुप पर जोड़ दिया गया। यहां पहले से कई लोग निवेश पर मुनाफे के स्क्रीन शॉट शेयर कर रहे थे। पीड़ित ने भी आरोपियों के बताए तरीके से धीरे-धीरे 22 लाख रुपये निवेश कर दिए। बाद में उसे ठगी का पता चला तो शिकायत दी गई। विदेशियों से मिला आरोपियों का लिंक…
साइबर थाना पुलिस ने केस दर्ज कर छानबीन शुरू की। व्हाट्सएप, गूगल, आईपी लॉग्स, रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस और करीब 200 से अधिक मोबाइल नंबरों की सीडीआर खंगाली गई। छानबीन में व्हाट्सएप मलेशिया में एक्टिव मिला। काफी लंबी पड़ताल के बाद पुलिस ने टेक्निकल सर्विलांस के आधार पर कई लोगों की पहचान की। 6 अक्तूबर को पुलिस की टीम ने दिल्ली, गाजियाबाद और गुरुग्राम में छापेमारी कर अतुल कुमार और प्रशांत सिंह को दबोच लिया। बाद में इनसे पूछताछ के बाद भावेश कुमार खान को भी गिरफ्तार कर लिया। भावेश एमबीए पास है। अतुल व प्रशांत फर्जी कंपनी बनाकर उनके नाम से बैंक खाते खोलते थे। बाद में इनको भावेश को सौंप दिया जाता था। भावेश भी किसी अमन नामक ठग को बैंक खाते दे दिया करता था। 9 अक्तूबर को टीम ने सुमित और योगेश कुमार को राजस्थान से दबोचा, वहीं बाद में 14 अक्तूबर को गौरव और विवेक कुमार को राजस्थान के अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि इनको 2 फीसदी से 10 फीसदी तक कमीशन मिलता था।