Report By : ICN Network (Shimla)
साल 2024 हाटी समुदाय के लोगों के लिए एक अच्छी खबर लेकर आया है। दरअसल, नववर्ष के पहले ही दिन यानी सोमवार को शिमला स्थित राज्य सचिवालय में CM सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में हुई बैठक में सिरमौर जिला के हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की घोषणा कर दी गई। बता दें इसको लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। साथ ही गिरिपार के हाटी समुदाय के तीन लाख लोगों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो गई है।
हाटी समुदाय दर्जा मिलने के बात क्या बोले नेता प्रतिपक्ष
आपको बता दें कि हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा मिलने के बाद मीडिया के साथ रूबरू होते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय के साथ किया अपना वादा उन्होंने पूरा किया है। उन्होंने इस दौरान सभी को शुभकामनाएं भी दी। जयराम ने कहा कि जो हक 58 साल पहले मिल जाना चाहिए था, उसके लिए आज भी रोड़े अटकाने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रपति से मंज़ूरी मिलने के बाद भी हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने से रोकने का प्रयास किया गया है। एक स्पष्ट निर्देश होने के बाद भी स्पष्टीकरण के नाम पर 5 महीनें तक चीजों को अटकाने की कोशिश हुई, जो दु:खद है।
1968 में ही मिल जाना चाहिए था दर्जा
बातचीत के अनुसार, उन्होंने ये भी कहा कि हाटी समुदाय को यह दर्जा 1968 में ही मिल जाना चाहिए था, जब उत्तराखंड के जौनसार बावर के जौनसारी समुदाय को यह दर्जा मिला था। क्योंकि हाटी समुदाय और जौनसारी समुदायों के बीच सामाजिक, सांस्कृतिक के साथ ही भौगोलिक समानता भी थी। तब गिरिपार के साथ अन्याय हुआ था। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष ने ये भी कहा कि सुक्खू सरकार इस कानून को अटकाने, भटकाने और लटकाने के तरीके खोजने में अपनी ऊर्जा खर्च कर रही थी। आखिरकार स्पष्टीकरण के नाम पर इस कानून को लागू करने से रोकने का प्रयास किया गया।
इतना ही नहीं जयराम ठाकुर ने ये भी कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा भी कुछ छात्रों को प्रोविजनल सर्टिफिकेट दिया गया। इसके बाद किसी प्रकार के शक की गुंजाइश ही खत्म हो गई थी, लेकिन फिर भी अधिसूचना जारी करने में देरी हुई। सरकार द्वारा अधिसूचना जारी करने में देरी से हजारों युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ हुआ। इसकी भरपाई कौन करेगा।