Brijesh Pathak का सख्त कदम
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही और अनुशासनहीनता को लेकर डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री Brijesh Pathak ने कड़ा रुख अपनाया है। बिना सूचना के लंबे समय से गायब चल रहे सात डॉक्टरों को सेवा से हटाने का आदेश जारी किया गया है। इस कार्रवाई ने राज्य में गैर-जिम्मेदार चिकित्सकों के खिलाफ सख्ती का स्पष्ट संदेश दिया है। आइए जानते हैं इस मामले की पूरी कहानी।
इन डॉक्टरों पर टूटी नियमों की अनदेखी की मार
स्वास्थ्य विभाग के सात चिकित्सकों पर लंबे समय से ड्यूटी से अनुपस्थित रहने का गंभीर आरोप है। इनमें झांसी जिला चिकित्सालय के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. मुकुल मिश्र, अमेठी के बाजार शुक्ल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के डॉ. विकास कुमार मिश्र, अमेठी के जगदीशपुर सीएचसी के डॉ. विकलेश कुमार शर्मा, बरेली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के अधीन डॉ. दीपेश गुप्ता, सीतापुर के मिश्रिख सीएचसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. श्वेता सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. विक्रांत आनंद और हाथरस जिला चिकित्सालय के पैथोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद राफे शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इनसे संपर्क करने की तमाम कोशिशें कीं, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर डिप्टी सीएम ने सख्त कदम उठाते हुए इन्हें बर्खास्त करने का निर्देश दिया।
गैरहाजिर शिक्षक पर भी कार्रवाई की तैयारी
बदायूं राजकीय मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग के सहायक आचार्य डॉ. अभिषेक कुमार शाह 2023 से लगातार ड्यूटी से गायब हैं। डिप्टी सीएम के आदेश पर उन्हें आरोप पत्र जारी कर विभागीय कार्रवाई का सामना करना होगा।
मरीजों को उचित इलाज न मिलने की शिकायत पर सख्ती
पीलीभीत जिला महिला चिकित्सालय में मरीजों को समुचित उपचार न मिलने की शिकायत ने भी डिप्टी सीएम का ध्यान खींचा है। इस मामले में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश कुमार को प्रथम दृष्टया दोषी पाते हुए उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं।
निविदा नियमों की अनदेखी पड़ी भारी
हमीरपुर के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. गीतम सिंह को निविदा प्रक्रिया में नियमों की अनदेखी करना महंगा पड़ा। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने उनके खिलाफ भी आरोप पत्र जारी कर विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया है।
यह कार्रवाई स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और अनुशासन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। डिप्टी सीएम ने स्पष्ट किया है कि मरीजों की सेवा में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब देखना यह है कि इस सख्ती से स्वास्थ्य व्यवस्था में कितना सुधार आता है।