Report By : Ankit Srivastav, ICN Network
दिल्ली जल संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार को याचिका में खामियों को दूर न करने पर फटकार लगाई है। दरअसल, दिल्ली सरकार ने जल सकंट को देखते हुए हरियाणा, हिमाचल और उत्तर प्रदेश से एक्स्ट्रा पानी छोड़ने के निर्देश देने के लिए याचिका लगाई थी।
इसमें कुछ कमियां थीं, जिसके कारण अलग-अलग पक्ष द्वारा लगाए गए दस्तावेज स्वीकार नहीं हो पा रहे थे। इस पर जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की वेकेशन बेंच ने दिल्ली सरकार को कहा कि पिछली सुनवाई में बताया गया था। फिर भी आपने गलतियों को ठीक नहीं किया। आप कोर्ट को हल्के में न लें।
कोर्ट ने कहा कि एक तरफ आप कहते हो की आप पानी की समस्या से जूझ रहे हो। दूसरी तरफ आप ही अपनी याचिका को ठीक नहीं करते हो। आप जल्दी सुनवाई चाहते हो और खुद इत्मीनान से बैठे हो। सब कुछ रिकॉर्ड पर आने दीजिए। हम मामले की सुनवाई अब 12 जून को करेंगे।
कोर्ट ने कहा कि याचिका की गलती सुधारी जाएगी तो मामले से संबंधित दाखिल की गई फाइलें पढ़ी जाएगी। यदि हम ये फाइलें नहीं पढ़ेंगे तो हम अखबार में छप रही रिपोर्ट्स से प्रभावित हो जाएंगे और यह किसी भी पक्ष के लिए ठीक नहीं होगी ।
मामले की 6 जून को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने हिमाचल को दिल्ली के लिए एक्स्ट्रा पानी छोड़ने के लिए कहा था। हालांकि, AAP ने आज सोमवार को कहा कि यह पानी हरियाणा ने रोक दिया है।
दरअसल, कोर्ट ने कहा था कि हिमाचल को एक्स्ट्रा पानी देने में कोई आपत्ति नहीं है, इसलिए वह अपस्ट्रीम से 137 क्यूसेक पानी 7 जून से दिल्ली के लिए छोड़े। जब यह पानी हिमाचल द्वारा हथिनीकुंड बैराज से छोड़ा जाए तो हरियाणा सरकार वजीराबाद तक इस पानी पहुंचाने में मदद करे, ताकि बिना बाधा के दिल्ली के लोगों को पानी मिल सके।
इसे लेकर सोमवार (10 जून) को सुनवाई से पहले ही AAP की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हरियाणा सरकार ने नहीं किया है। हिमाचल से जो 137 क्यूसेक पानी आना था, वो हरियाणा सरकार ने नहीं आने दिया है। इस एक्स्ट्रा पानी के अलावा हरियाणा को नियमित रूप से 1050 क्यूसेक पानी भी दिल्ली के लिए छोड़ना होता है, लेकिन हरियाणा उसमें से भी 200 क्यूसेक पानी कम दे रहा है।
दिल्ली में जल संकट के दो कारण हैं- गर्मी और पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता। दिल्ली के पास अपना कोई जल स्रोत नहीं है। पानी के लिए यह पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है।
दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक राज्य को रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है। लेकिन गर्मियों में केवल 96.9 करोड़ गैलन प्रति दिन ही मांग पूरी हो पा रही है। यानी दिल्ली की 2.30 करोड़ आबादी को हर दिन 129 करोड़ गैलन पानी चाहिए, लेकिन उसे सिर्फ 96.9 करोड़ गैलन पानी ही मिल रहा है।
दिल्ली में पानी की जरूरत हरियाणा सरकार यमुना नदी से, उत्तर प्रदेश सरकार गंगा नदी से और पंजाब सरकार भाखरा नांगल से मिले पानी से पूरी करती है। 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को हर दिन यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन और भाखरा-नांगल से रावी-व्यास नदी से 22.1 करोड़ गैलन पानी मिलता था।
इसके अलावा कुंए, ट्यूबवेल और ग्राउंड वाटर से 9 करोड़ गैलन पानी आता था। यानी दिल्ली को हर दिन 95.3 करोड़ गैलन पानी मिलता था। 2024 के लिए यह आंकड़ा बढ़कर 96.9 करोड़ गैलन हो गया है।