Report By : ICN Network
उत्तराखंड में अवैध खनन के मुद्दे पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है। रावत ने राज्य के खान सचिव ब्रजेश संत की ओर इशारा करते हुए कहा था, “शेर कुत्तों का शिकार नहीं करते।” चूंकि ब्रजेश संत दलित समुदाय से हैं, इस टिप्पणी को जातिसूचक मानते हुए उत्तराखंड IAS एसोसिएशन ने कड़ा विरोध जताया है।
विवाद की शुरुआत: शुक्रवार को संसद में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड में अवैध खनन के बड़े पैमाने पर होने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में खान सचिव ब्रजेश संत ने रावत के दावों को ‘भ्रामक जानकारी’ बताते हुए खारिज किया। शनिवार को इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रावत ने “शेर कुत्तों का शिकार नहीं करते” जैसी टिप्पणी की, जिसे लेकर विवाद बढ़ गया।
IAS एसोसिएशन की प्रतिक्रिया: IAS एसोसिएशन ने रावत की टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए बैठक आयोजित की और एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि “IAS अधिकारी भी आम नागरिकों की तरह सम्मान और गरिमा के हकदार हैं।” एसोसिएशन ने सभी से आपसी सम्मान बनाए रखने की अपील की है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: रावत की टिप्पणी पर विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने भी अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं। कुछ ने इसे असंवेदनशील और जातिवादी करार दिया है, जबकि अन्य ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए किया गया कदम बताया है। इन प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि यह विवाद राज्य की राजनीति में नए मोड़ की ओर इशारा कर रहा है।
नागरिकों के लिए संदेश: इस घटनाक्रम से यह संदेश मिलता है कि सार्वजनिक जीवन में शब्दों का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। सभी को आपसी सम्मान और सद्भाव बनाए रखने की आवश्यकता है, ताकि समाज में समरसता और सौहार्द्र बना रहे।