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Lucknow : उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश में जातिगत भेदभाव और वैमनस्य फैलाने वाली गतिविधियों पर सख्ती दिखाते हुए नया नियम लागू कर दिया है। अब अगर किसी वाहन की नंबर प्लेट पर जाति का नाम, उपनाम या किसी तरह की जाति-आधारित लिखावट पाई जाती है तो वाहन मालिक को मोटा जुर्माना भरना होगा।
सूत्रों के मुताबिक, नंबर प्लेट पर जाति लिखने वालों पर ₹5,000 तक का चालान किया जा सकता है। ट्रैफिक पुलिस को इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दे दिए गए हैं कि सड़क पर चलने वाले वाहनों की जांच की जाए और नियम तोड़ने वालों पर तत्काल कार्रवाई हो। डीजीपी राजीव कृष्ण का कहना है कि सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) के तहत आनलाइन एफआईआर दर्ज किए जाने के प्रोफार्मा से जाति का कॉलम हटाए जाने के लिए एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) को पत्र लिखा गया है। पुलिस दस्तावेजों में जहां जाति दर्ज किए जाने का कॉलम था, वहां अब जाति का उल्लेख न किए जाने का निर्देश है। एफआईआर व अन्य दस्तावेजों में अब माता-पिता दोनों के नामों का उल्लेख करना होगा। सीसीटीएनएस में माता के नाम का कॉलम भी बढ़ेगा। सीसीटीएनएस में बदलाव किए जाने तक जाति भरने से जुड़े गैर अनिवार्य कॉलम रिक्त छोड़ दिए जाएंगे।एफआईआर और पुलिस रिकॉर्ड से भी हटेगा जाति उल्लेख
सरकार ने हाल ही में पुलिस को यह भी निर्देश दिए हैं कि अब किसी भी एफआईआर या पुलिस रिकॉर्ड में जाति का उल्लेख न किया जाए। केवल एससी/एसटी एक्ट से जुड़े मामलों में ही जाति दर्ज की जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि यह कदम जातिगत भेदभाव और समाज में अनावश्यक तनाव को रोकने में मदद करेगा।अन्य जगहों पर भी निगरानी
नए नियम के तहत जाति-आधारित रैलियों, बैनर, सोशल मीडिया पोस्ट और सार्वजनिक जगहों पर जाति लिखने या प्रचारित करने पर भी रोक लगाई गई है। प्रशासन का कहना है कि इस आदेश का उद्देश्य समाज में समानता को बढ़ावा देना और जाति के नाम पर बढ़ रही राजनीति और वैमनस्य को रोकना है।क्यों उठाया गया यह कदम?
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया। इस निर्देश की सीधी शुरुआत इलाहाबाद हाईकोर्ट के हाल ही में दिए गए एक फैसले से हुई है। 19 सितंबर 2025 को जस्टिस विनोद दिवाकर की एकलपीठ ने ‘प्रवीण छेत्री बनाम राज्य’ केस में सुनवाई करते हुए कहा कि एफआईआर और अरेस्ट मेमो में जाति लिखना न सिर्फ अनावश्यक है, बल्कि संवैधानिक नैतिकता के भी खिलाफ है। अदालत ने साफ कहा था कि किसी भी सरकारी दस्तावेज़, वाहन या सार्वजनिक स्थान पर जाति लिखने की अनुमति नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे समाज में विभाजन की भावना फैलती है।क्या करना होगा वाहन मालिकों को?
नियम का पालन न करने पर चालान के साथ-साथ वाहन सीज़ तक किया जा सकता है।
अगर आपकी गाड़ी पर किसी भी तरह का जाति का नाम, उपनाम, स्टीकर या पेंटिंग है तो उसे तुरंत हटा दें। केवल वही नंबर प्लेट मान्य है जिस पर आरटीओ द्वारा निर्धारित गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा हो।