Report By: Fazil Khan (Lucknow UP)
यूपी एसटीएफ और नोएडा पुलिस ने संयुक्त रूप से एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश कर दिया है, जिसमें 25 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग बीओआईपी कॉल, टीएफएन व सोफ्ट फोन के माध्यम से अमेरिकी नागरिकों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी करते थे। लखनऊ एसटीएफ की टीम को सेक्टर-59 स्थित डी-41 में अमेरिकी नागरिकों से ठगी करने वाले एक फर्जी कॉल सेंटर के संचालित होने की जानकारी प्राप्त हुई। सूचना पर लखनऊ एसटीएफ की टीम ने गुरुवार को सेक्टर-58 पुलिस की मदद से छापामारी की। करीब चार माह से चल रहे फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया।
पुलिस की टीम ने सरगना सहित गिरोह में शामिल 25 लोगों को गिरफ्तार किया है। वहीं गिरोह का सरगना मौके से फरार हो गया है। जिसकी तलाश में पुलिस की एक टीम आरोपी के ठिकाने पर छापेमारी कर रही है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 34 मोबाइल फोन, 4 लैपटाप, 5 इंटरनेट राउटर, 4 चार पहिया वाहन, 22 कम्प्यूटर डिस्पले , 22 सीपीयू , 22 की बोर्ड , 22 माउस , 22 हेड फोन , 2 रजिस्टर, 24 कागजात को बरामद किया है। इस दौरान आरोपी अमेरिकी लोगों को मदद के बहाने उनके सिस्टम को ऐनीडेस्क साफ्टवेयर जरिये कनेक्ट करके मदद करने के बहाने पीड़ितों से 100 से 500 डॉलर की फीस वसूल कर लेते थे।
जिसको आरोपी गिफ्ट कार्ड के जरिये अपने खाते में ट्रांसफर कर लेते थे। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान जयन्त उर्फ जितेन्द्र उर्फ उस्मान, मानिक सिवाच, मोहम्मद साबिर, शिवा कश्यप, मोहित ग्रोवर, आदिल रिजवी, दिव्यम शर्मा, रितिक मल्होत्रा, सक्षम मल्होत्रा, हिमांशु भारद्वाज, रोहित यादव, अंकुर सोनी, कैलाश साही, फिरोज आलम, भूपेन्द्र सिंह यादव, अफरोज खान, युधिष्ठिर कुमार, मनीष तिवारी, गौतम सहगल, यश मक्कड़, अनुभव त्यागी, संजीत, चिन्टू उर्फ चन्द्रपाल, नीरज पुत्र धीरसिंह यादव और नदीम शामिल है। पुलिस को मौके से फरार एक आरोपी शाजिद शहिदी की तलाश है। तीन महीने पहले खोला था।
कॉल सेंटर पुलिस पूछताछ में पकड़े गए गैंग ने बताया है कि, गिरोह का सरगना शाजिद शहिदी है, जिसने तीन महीने पहले कॉल सेंटर को खोला था। गिरोह में पकड़े गए आरोपी यहां पर नौकरी करते थे। जिनको आरोपित ने 12 हजार रुपये मासिक वेतन पर ठगी का काम दिया था। आरोपितों ने इस दौरान सैकड़ों की संख्या में अमेरिकी नागरिकों के साथ करोड़ों रुपये की ठगी की है। गिरफ्त में आए आरोपितों का कहना है कि, वह कंप्यूटर से टीएफएन पोर्टल के जरिये आईबीएम साफ्टवेयर से विदेशी कॉल को अपने कॉल सेंटर में लगे सिस्टम पर लैंड कराते थे। इसके बाद आरोपी कॉल को उठाने के बाद खुद को विदेशी कंपनी का प्रतिनिधि बताते थे। इस दौरान आरोपित बताते थे कि, उनके फोन और लैपटाप में कुछ वायरस आ गए हैं। जिनको जल्द ही उनको ठीक कराना होगा नहीं तो उनका सिस्टम हैक हो जाएगा।