Report By-Fazil Khan Lucknow(UP)
यूपी की राजधानी लखनऊ में एक ऐसा विकलांग दम्पत्ति जो पिछले कई सालों से गरीब बच्चो को मुफ्त में शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे है जिसे लेकर बच्चे खुशी खुशी पढ़ने जा रहे है देखिए हमारे संवाददाता की खास रिपोर्ट हर रोज़ गिर कर भी मुकम्मल खड़े हैं ऐ जिंदगी देख, मेरे हौसले तुझसे भी बड़े है। जी हां इस शायरी को सच कर दिखाया है लखनऊ के रहने वाले दिव्यांग पति-पत्नी ने, समाज के तमाम ऐसे गरीब लोगों के बच्चों की उम्मीद बनकर खड़े हो गए है हालांकि वह दोनों पैरों से तो दिव्यांग है लेकिन उनके हौसले आसमान की तरह बुलंद है। गरीब के बच्चों को आगे बढ़ने का प्रण ले चुके दिव्यांग पति-पत्नी उनका सपना है कि, गरीबों के बच्चे भी आईएएस,आईपीएस, बने और कोई भी शिक्षा से वंचित न रहे। इसी उम्मीद के साथ निशुल्क गरीब बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना सहादतगंज क्षेत्र अंतर्गत वजीर बाग के रहने वाले मोहम्मद वसीम दोनों पैरों से दिव्यांग है। वह ट्राई साइकिल से चलते हैं दोनों पैरों से दिव्यांग होने के कारण वह खड़े नहीं हो पाते है। और जहां कहीं जाना आना हो ट्राई साइकिल से ही जाते हैं। उनकी पत्नी तरन्नुम वसीम भी दोनों पैरों से दिव्यांग है। आप इस बात से अंदाजा लगा सकते है कि, किस तरीके से वह अपना जीवन जीते होंगे। किन कठिनाइयों का उन लोगों को सामना करना पड़ता होगा लेकिन उसके बावजूद भी उनके हौसले नहीं टूटे वह अपने काम तो करते ही हैं। उसके साथ क्षेत्र के तमाम गरीब बच्चों को लंबे समय से निशुल्क शिक्षा देते चले आ रहे हैं। आपको बताना चाहेंगे कि पुराने लखनऊ वजीर बाग में बहुत गरीब किस्म के लोग रहते हैं कोई रिक्शा चलाता है, तो कोई जरी आर्ट का मजदूर है, बहुत से लोग किराए पर रहते हैं और किसी तरीके से रोजी-रोटी का इंतजाम कर पाते हैं। उन पर इतना पैसा नहीं कि, वह अपने बच्चों को पढ़ा सके उन्ही बच्चों की उम्मीद बन कर आए दिव्यांग पति-पत्नी मोहम्मद वसीम और तरन्नुम वसीम तमाम छोटे बच्चों को शिक्षा तो देते ही है साथ में तमाम ऐसे कार्यक्रम करते रहते हैं जिससे बच्चों के हौसले बुलंद होते रहे उन्हें नई-नई चीजों की जानकारी मिलती रहे। दोनों पति-पत्नी का हौसला देख क्षेत्र के तमाम लोग उन्हें काफी सम्मान देते हैं और उनकी इस हिम्मत को देखकर बहुत से लोगों को प्रेरणा भी मिलती है। बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो, छोटी-छोटी बातों पर निराश हो जाते हैं। जिंदगी से ना उम्मीद हो जाते हैं। उन लोगों को देखना चाहिए की मोहम्मद वसीम और तरन्नुम वसीम दोनों पैरों से दिव्यांग होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी जिंदगी में ना उम्मीद नहीं आने दी, बल्कि लोगों को हौसला देने का कारण बने दिव्यांग पति पत्नी।