यूपी के मुज़फ्फरनगर जहां एक और लावारिस शवों की सुध लेने वाला कोई नहीं है वही इन लावारिस शवों की वारिस बनकर क्रांतिकारी शालू सैनी सामने आई है जो जनपद मुजफ्फरनगर के किसी भी क्षेत्र में मिलने वाले लावारिस शवों का वारिस बनकर पूरे विधि विधान के साथ उनका अंतिम संस्कार करती है। बता दे की शमशान घाट या फिर कब्रिस्तान में महिलाओं का जाना वर्जित है वहीं साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी समाज को आईना दिखाते हुए लावारिस शव का उनके धर्म के अनुसार पूरे विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार करती है साथ ही उनकी अस्थियां भी गंगा जी में विसर्जित की जाती हैं और मुस्लिम समुदाय के किसी भी लावारिस शव अंतिम संस्कार भी उनके धर्म के अनुसार शालू सैनी द्वारा किया जाता है शालू सैनी अपनी संस्था के माध्यम से लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में होने वाले खर्च का वहन करती है।
क्रांतिकारी शालू सैनी एक ग्रहणी है जो सड़क के किनारे कपड़ो का ठेला लगाकर अपने परिवार का पालन पोषण करती है। लावारिस शवो का अंतिम संस्कार करते-करते शालू सैनी का नाम इंडिया बुक का रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है वही शालू सैनी अब तक 2000 से ज्यादा लावारिस शवो का अंतिम संस्कार कर चुकी है। इसके बाद अब क्रांतिकारी शालू सैनी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। शालू सैनी बताती है कि लावारिस शवों का अंतिम सरकार करने की प्रेरणा उन्हें लॉक डाउन के समय मिली थी जिस समय लॉकडाउन में लोग मर रहे थे और उनके परिजन भी उनसे दूर भाग रहे थे तब क्रांतिकारी शालू सैनी इन लावारिस शवों की वारिस बनकर सामने आई और कोरोना महामारी से मरने वाले लावारिस लोगों के शवों का अंतिम संस्कार किया। शालू सैनी ने साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट के नाम से एक संस्था बनाई हुई है जिसमें उसे संस्था के सभी सदस्य मिलकर लावारिस शवो के अंतिम संस्कार मैं होने वाले खर्च का वहन करते हैं। वहीं अंतिम संस्कार के तीसरे दिन शालू सैनी लावारिस शवो की अस्थियों को एकत्रित कर उन्हें लेकर तीर्थ नगरी शुक्रताल में पहुंचकर गंगा में विसर्जित करती है। इसके बाद क्रांतिकारी शालू सैनी का नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और गिनीज बुक वर्ल्ड ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है। अब क्रांतिकारी शालू सैनी 2000 से ज्यादा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाली दुनिया की पहली महिला बन चुकी है।