यूपी के सोनभद्र में किसान हमेशा शिकायत करते हैं कि परंपरागत खेती से उन्हें खास मुनाफा हासिल नहीं हो रहा है ऐसी स्थिति में किसन अन्य फसलों की तरह रुख कर रहे हैं पिछले कुछ समय से कुछ किसनो को राज्य सरकारे फलदार वृक्षों को बढ़ावा देने के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी आयोजित कर रहे हैं। ऐसे ही एक फसल पपीते की भी है जिसकी खेती कर किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं।
पपीता देश का एक ऐसा फल है जिसे कम लागत में किसन आसानी से उत्पादन कर सकता है इसकी खेती के लिए हल्के गर्म जलवायु की जरूरत होती है, साफ शब्दों में अगर कहें तो इसकी खेती 10 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान के अंदर करना ज्यादा उपयुक्त है इसके अलावा पौधे का विकास हो उसके लिए दोमट या बलुई मिट्टी ज्यादा उपयुक्त होती है। पपीते के पौधे को ठंड और गर्म दोनों मौसम में लगाया जा सकता है। सोनभद्र सदर विकास खंड के मानपुर गांव निवासी बाबूलाल ने 2 एकड़ में पपीते की खेती करते हैं, इससे में हर वर्ष लाखों रुपए कमा रहे है। जो जिले के किसानों के लिए एक मिशाल बने है।
सदर विकास खंड के मानपुर गांव के बाबूलाल बताते है कि पपीते की खेती हम 5 साल से कर रहे हैं पपीते की खेती इतनी बढ़िया है कि साग सब्जी के साथ-साथ हम पपीते की भी खेती करीब 2 एकड़ में करते हैं इससे हमें काफी मुनाफा होता है इसको बेचने में भी हमें कोई परेशानी नहीं होती है, क्योंकि सब्जी लेकर मंडी जाते हैं तो वहां पर पपीता लेकर जाते हैं और वह आसानी से बिक जाता है, और उसका अच्छा खासा पैसा भी हमें मिल जाता है। पपीते की खेती 12 व 14 महीने की फसल होती है। मई व जून में इसे लगाया जाता है और बरसात के मौसम में इसमें फल लगना शुरू हो जाते हैं। मार्च के महीने में जब हल्की धूप लगती है तो वह पकाना शुरू हो जाता है और पेड़ में ही पक कर पीला हो जाता है। पकाने के बाद हम लोग जब उसे मार्केट में ले जाते हैं तो उसे ऊंचे दाम में बेच देते हैं। अगर फायदे की बात करें तो एक पेड़ में पपीता करीब कुंटल पपीता फल जाता है जिसकी कीमत 18 से 20 रुपए होती है और एक पेड़ से हमें करीब 2 हजार मिल जाता है, इसके साथ ही पपीते लगाने के लिए हमें काफी खाद का प्रयोग नहीं करना पड़ता है, खेतों में जैविक खाद का उपयोग करते हैं जिससे उनकी खेती की लागत भी काफी हद तक नियंत्रित रहती है। हल्की-फुल्की रासायनिक खाद के साथ ही पपीता तैयार हो जाता है और अच्छा मुनाफा देता है। अगर इसके बुआई की बात करें तो पपीते की खेती के लिए पहले क्यारियां तैयार करनी पड़ती हैं जहां बीज के माध्यम से पौधा तैयार किया जाता है। पौध तैयार करने के बाद इसे खेतों में रोपने का काम किया जाता है लेकिन लाइन से एक फिट और पौधे से दूरी करीब 6 फिट रखते हैं उसके मुताबिक एक एकड़ में तकरीबन 100 ग्राम बीज का उपयोग करते हैं। पपीते के पौधे को ठंड में पाल लगने की संभावना काफी रहती है ऐसे में पौधों पाल से बचना बहुत जरूरी है कई किसान पौधों के पास ठंड के समय धुआं सुलगा देते हैं जिससे पौधों को गर्माहट मिलती रहती है।