प्रदेश सरकार की सकारात्मक योजनाओं की बदौलत आधी आबादी ना सिर्फ आत्मनिर्भर बन रही है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में योगदान भी दे रही हैं। सुलतानपुर के जयसिंहपुर की 30 वर्षीय मनीषा निषाद इसकी मिसाल है। जो बीसी सखी के रूप में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को बैंकिंग सेवा प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर हो गई हैं। आज लोग उनको बैंक वाली दीदी के नाम से भी जानते हैं। मनीषा उत्तर प्रदेश में कार्यरत 58,000 बीसी सखियों में से एक हैं। जो अपने गांव के लोगों को बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हुए आत्मनिर्भर हो गई हैं। बीसी सखी मनीषा निषाद अपने परिवार को अपने गांव में एक सभ्य जीवन देने में भी सक्षम रही हैं। वह कहती हैं, हर कोई मुझे ‘बैंक वाली दीदी’ के रूप में बुलाता है।
एक बार, गांव की एक महिला के पति की तबियत खराब हो गई। वह अपने बैंक खाते से पैसे निकालना चाहती थी, लेकिन रात में पैसे निकाल नहीं सकती थी, इसलिए उसने मुझे फोन किया। मैं तुरंत उसके घर पहुंची और संकट में उसकी मदद की।2021 से शुरू किया काम अपने गांव की एकमात्र योग्य महिला होने के नाते, मनीषा ने बैंकिंग सखी की नौकरी की। इस प्रयास में उनके पति ने भी उनका साथ दिया। उन्हें सितंबर, 2021 में एसएचजी से ऋण के रूप में 75,000 रुपये की सहायता मिली। दिसंबर, 2021 में उन्होंने बीसी एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया और अपने घर से ही अपना कारोबार चलाने लगीं। बाद में उन्होंने ग्राम पंचायत में ही अपना एक कार्यालय स्थापित किया। मनीषा लगभग 60 लाख रुपये का मासिक लेनदेन करती हैं और 10,000 रुपये से 15,000 रुपये का कमीशन कमाती हैं। उन्होंने 150 से अधिक ग्रामीणों के खाते खोले हैं, जिनमें ज्यादातर उनकी ग्राम पंचायत की महिलाएं हैं। इस प्रकार दिलाती है लोगों को लाभ वह लोगों को नकद निकासी, नकद जमा, घरेलू धन हस्तांतरण (डीएमटी), निवेश (आरडी और एफडी), बीमा (पीएमएसबीवाई और पीएमजेजेबीवाई) और पेंशन (एपीवाई) सेवाएं प्रदान करती हैं। उन्होंने 200 से अधिक ग्रामीणों का पीएमएसबीवाई बीमा और करीब 250 ग्रामीणों को अटल पेंशन योजना का लाभ दिया हैं। मनीषा बताती हैं कि उनकी 50 प्रतिशत से अधिक ग्राहक महिलाएं हैं। महिला ग्राहकों को महिला एजेंटों से संपर्क करना आसान, भरोसेमंद और गोपनीयता बनाए रखने में उचित लगता है। उत्कृष्ट प्रदर्शन के चलते बैंक ऑफ बड़ौदा ने उन्हें कई बार प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया हैं।