इसी भय का फायदा उठाकर गैंग उनसे धन की मांग करता था। गैंग के सदस्य को पीडि़तों को विश्वास दिलाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पर वीडियो कॉल करते थे। इसमें पुलिस, क्राइम ब्रांच से लेकर अन्य प्रवर्तन एजेंसियों का नकली दस्तावेज दिखाते थे। जब पीडि़त अपने आपको बेकसूर बताता था तो उसे कहते थे कि भारत आने के लिए और भविष्य में किसी भी जांच से बचने के लिए उसे भारत सरकार से पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा। जिसे वह दिला सकते हैं। इसके साथ ही पीडि़तों से कहा जाता था कि मनी लांड्रिंग केस में बेगुनाही साबित करने के लिए पीडि़त को कुछ धनराशि सुपरविजन अकाउंट में भेजनी होगी। जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह ठगी से प्राप्त धनराशि को पहले अंतरराष्ट्रीय खातों में ट्रांसफऱ करता है और उसके बाद हवाला नेटवर्क के ज़रिये उसे वापस भारत में मंगाता था।
नोएडा: सुपरविजन अकाउंट में रकम डालने के नाम पर करते थे ठगी
इसी भय का फायदा उठाकर गैंग उनसे धन की मांग करता था। गैंग के सदस्य को पीडि़तों को विश्वास दिलाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पर वीडियो कॉल करते थे। इसमें पुलिस, क्राइम ब्रांच से लेकर अन्य प्रवर्तन एजेंसियों का नकली दस्तावेज दिखाते थे। जब पीडि़त अपने आपको बेकसूर बताता था तो उसे कहते थे कि भारत आने के लिए और भविष्य में किसी भी जांच से बचने के लिए उसे भारत सरकार से पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा। जिसे वह दिला सकते हैं। इसके साथ ही पीडि़तों से कहा जाता था कि मनी लांड्रिंग केस में बेगुनाही साबित करने के लिए पीडि़त को कुछ धनराशि सुपरविजन अकाउंट में भेजनी होगी। जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह ठगी से प्राप्त धनराशि को पहले अंतरराष्ट्रीय खातों में ट्रांसफऱ करता है और उसके बाद हवाला नेटवर्क के ज़रिये उसे वापस भारत में मंगाता था।

