महोबा मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूर बसे गांव में पानी की समस्या लोगों के लिए नासूर बन गई। जिससे आक्रोशित ग्रामीणों ने चुनाव का ही बहिष्कार कर दिया। ग्रामीणों ने अपने घरों की दीवारों पर “पानी नहीं तो वोट नहीं” के नारे लिखकर चुनाव में भागीदारी न करने की बात कह डाली। ग्रामीण एक तरफ जहां प्रशासनिक लापरवाही से नाराज हैं तो वहीं दूसरी तरफ पेयजल आपूर्ति में प्रधान द्वारा किए जा रहे पक्षपात को लेकर भी आक्रोशित है। जिसके चलते इनके द्वारा चुनाव का बहिष्कार किया गया है।
जनपद मुख्यालय से लगे शाहपहाड़ी गांव में पेयजल समस्या से परेशान ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार कर वोट डालने से मना कर दिया है। ग्रामीण पिछले कई महीनो से हो रही पेयजल समस्या से दिक्कतें झेल रहे हैं। शाहपहाड़ी गांव मुख्यालय से सटा हुआ है। इसके बावजूद भी यहां पेयजल समस्या होने के चलते लोगों की नाराजगी बढ़ती चली जा रही है और अब यह नाराजगी लोकसभा चुनाव में खुलकर सामने आ गई है। पांचवें चरण में होने वाले चुनाव में महोबा में भी मतदान होना है, लेकिन मूलभूत सुविधाओं खासकर पेयजल समस्या से जूझ रहे शाहपहाड़ी गांव के लोगों ने लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लेने से मना कर दिया। कबरई ब्लाक अंतर्गत आने वाले इस गांव की आबादी 2800 है। जहां पेयजल के लिए 37 हैंडपंप के साथ-साथ तीन सरकारी बोर भी संचालित हैं। जिनके ऊपर पेयजल आपूर्ति का जिम्मा है। लेकिन बढ़ती गर्मी के साथ घटता जलस्तर घर-घर पानी पहुंचाने में नाकाम है। यही वजह है कि बीते दिनों ग्रामीणों द्वारा हाईवे को जामकर पेयजल की समस्या को उठाया गया था जिस पर प्रशासन ने मरहम लगाते हुए 2800 की आबादी में एक टैंकर को संचालित कर दिया, लेकिन इस टैंकर में भी पक्षपात किया जा रहा है। गांव के निवासी सुधादेवी , सुनीता दिवेदी, शिवकली, मुबीना, राज दिवेदी आदि बताते है कि ग्राम प्रधान शिवशंकर द्वारा शाहपहाड़ी गांव के आधे इलाके में पक्षपात करते हुए टैंकर नहीं पहुंचाया जाता। जिससे मजबूरन लोगों को पानी की समस्या हो रही है। घरों के सदस्य रात-रात भर पानी के लिए दूर दराज के इलाकों से पानी लाने को मजबूर है, आधे इलाके में टैंकर से पानी जा रहा है और आधे में पानी के लिए लोग तरस रहे है। आज जब ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार के लिए दीवारों में नारे लिख दिया और चुनाव का बहिष्कार करने की बात कहीं तब जाकर टैंकर पानी लेकर पहुंचा। ग्रामीण बताते है कि उनके इलाके तक आते आते टैंकर खाली हो जाता है आरोप है कि ग्राम प्रधान को गांव के जिन इलाकों से चुनाव में वोट नही मिले थे वहां पानी पहुंचाने में पक्षपात किया जा रहा है। जानकार बताते हैं कि रोजाना एक टैंकर चलाने में ग्राम पंचायत 5000 रूपए खर्च कर रही है। इस हिसाब से ग्राम पंचायत द्वारा एक बड़ी राशि को ठिकाने लगाकर पेयजल आपूर्ति करने का ग्रामीण शाहपहाड़ी गांव में पेयजल समस्या से यहां के ग्रामीणों के सूखते हलक अधिकारियों के दावों की भी पोल खोल रहे है। एक टैंकर के सहारे पूरे गांव में पेयजल करना इस समस्या के निजात की सिर्फ खानापूर्ति बनकर रह गई है। इस समस्या को लेकर ग्राम प्रधान शिवशंकर ने बताया कि जल निगम की टंकी के बोर का वाटरलेवल कम हो गया है जिस कारण पानी नहीं मिल पा रहा है। वहीं नमामि गंगे योजना का काम बहुत धीमी गति से चल रहा जिस कारण उसका भी फायदा नहीं मिल पा रहा है। अब गांव में टैंकर चलाया जा रहा है।
जबकि इस समस्या को लेकर गांव की ग्राम पंचायत अधिकारी आरती गुप्ता खुद मॉनिटरिंग करने की बात कहती हैं और गांव में टैंकर चलवाने की बात कही है। उन्होंने भी कहा की नमामि गंगे योजना की लाइन डली है मगर उसमे पानी नहीं है। जल निगम के स्रोत भी धीरे-धीरे जवाब देने लगे हैं वही आपसी मतभेद और छुआछूत के चलते भी लोग टैंकर क पानी लेने से कतरा रहे हैं यह समस्या होने के चलते लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा फिर भी प्रयास है कि पूरे गांव को पानी दिया जा सके।