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दिल्ली: बंद होगी टैंकर से पानी की सप्लाई

दिल्ली जल बोर्ड ने अगले साल मार्च-अप्रैल से टैंकरों से पानी की सप्लाई बंद करने का फैसला किया है। बोर्ड का लक्ष्य है कि सभी कॉलोनियों में जाने वाले टैंकर सप्लाई पूरी तरह से बंद की जाए

दिल्ली वालों को अगले साल मार्च-अप्रैल से टैंकरों से पानी नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली जल बोर्ड ने अब सड़कों से वॉटर टैंकरोंल को हटाने का फैसला किया है। इस संबंध में जल बोर्ड सीईओ ने सभी चीफ इंजीनियरों और सुपरिटेंडेंट इंजीनियरों की मीटिंग बुलाई थी। उन्होंने कहा कि टैंकरों से पानी सप्लाई के बजाय लोगों को पाइपलाइन के माध्यम से ही वॉटर सप्लाई किया जाए। जल बोर्ड का दावा है कि 93 प्रतिशत कॉलोनियों में पाइप लाइन के माध्यम से ही वॉटर सप्लाई किया जाता है। ऐसे में बाकी 7 प्रतिशत कॉलोनियों में पाइपलाइन से पानी सप्लाई करने में अधिक खर्च भी नहीं आएगा।

जल बोर्ड के पास है 1170 टैंकरजल बोर्ड सत्र के अनुसार दिल्ली के अंतिम छोर पर स्थित कुछ ऐसे इलाके हैं, जहां पाइपलाइनों से पानी पहुंच ही नहीं पाता है। ऐसे इलाकों में टैंकरों से ही पानी सप्लाई किया जाता है। कुछ ऐसे भी इलाके हैं, जहां अभी तक पाइपलाइनें नहीं बिछाई गई हैं। ऐसे इलाकों में भी पानी की सप्लाई टैंकरों से होता है। जल बोर्ड के अपने और हायर किए गए कुल 1170 टैंकर हैं, जिससे रोजाना सप्लाई होने वाले 1000 एमजीडी पानी का करीब 7 प्रतिशत पानी इन टैंकरों से सप्लाई किया जाता है। यानी करीब 70 एमजीडी पानी टैंकरों से दिल्ली में सप्लाई होता है।

टैंकरों से पानी सप्लाई का कोई फायदा नहीं

अधिकारियों का यह मानना है कि टैंकर से पानी सप्लाई का मतलब है कि दिल्ली में पर्याप्त वॉटर इन्फ्रास्ट्रक्चर और संसाधनों की कमी है। लेकिन, ऐसा कुछ वास्तव में नहीं है। इसलिए टैंकरों से पानी सप्लाई का कोई फायदा नहीं है और इन्हें हटाया जाना चाहिए। सीईओ ने आदेश दिया है कि सभी 70 विधानसभा क्षेत्र के विधायकों के साथ इंजीनियर्स समन्वय करें और उनसे यह जानकारी लें कि उनके विधानसभा क्षेत्र के किस इलाके में वॉटर सप्लाई लाइनें नहीं है। जहां भी वॉटर सप्लाई लाइनें नहीं है, वहां पाइपलाइनें बिछाने के लिए संबंधित सर्कल के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को वॉटर सप्लाई लेआउट प्लान बनाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए टेंडर जारी करने को कहा गया है। इंजीनियरों को सीईओ ने दो दिनों का इसके लिए वक्त दिया है।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

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