Report By : ICN Network
ग्रेटर नोएडा: यमुना अथॉरिटी (यीडा) ने जेपी असोसिएट्स में फंसे 7 हजार बायर्स को राहत देने का फैसला किया है। अथॉरिटी इन बायर्स के अधूरे फ्लैट्स को पूरा कर उन्हें सौंपेगी, जिसमें वे प्रॉजेक्ट भी शामिल हैं जिन्हें जेपी असोसिएट्स ने सबलेसी के तहत अन्य बिल्डर्स को बेचा था। इसके लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की जा रही है, जिसे 28 मार्च को होने वाली बोर्ड बैठक में पेश किया जाएगा, ताकि निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जा सके।
बता दें कि पिछले सप्ताह हाई कोर्ट ने यमुना अथॉरिटी के उस आदेश को सही ठहराया है जो कि यमुना ने 2020 में जेपी असोसिएट्स का 1000 हेक्टेयर का प्लॉट आवंटन निरस्त करने का फैसला किया था। इसमें 12 ग्रुप हाउसिंग प्रॉजेक्ट ऐसे थे जो कि बिल्डर ने खुद ही लॉन्च किए थे। बाकी प्लॉट दूसरे बिल्डरों को बेच दिए थे यानी सबलीज कर दिए थे। इन सबलीज वाले प्रॉजेक्टों में भी कई हजार फ्लैट बायर्स फंसे हैं। दोनों के मिलाकर कुल 7 हजार बायर्स के फ्लैट यमुना पूरे करेगी।
हाई कोर्ट के आदेश को अमल करने के लिए यमुना प्राधिकरण एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार कर रही है। इसमें इन परियोजनाओं से जुड़े सात हजार से ज्यादा बायर्स पर बिना किसी अतिरिक्त बोझ डाले उन्हें फ्लैट देने योजना बनाई जा रही है। न्यायालय के आदेश के अनुपालन से पहले यीडा अपनी कार्ययोजना को भी आगामी 28 मार्च की बोर्ड बैठक से स्वीकृति लेगी। इसमें जेपी के सबलेसी बिल्डरों से भी समझौता कर उन्हें यमुना प्राधिकरण का लेसी बनाया जाएगा।
यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि भूखंड आवंटन रद्द करने के बाद न्यायालय में दायर यीडा की अपील में बायर्स के हितों को प्राथमिकता दी गई थी। इसी आधार पर न्यायालय ने 2020 से अब तक की अवधि को शून्य काल घोषित किया है। न्यायालय के आदेश के तहत, यमुना प्राधिकरण को इन परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं, जिसके तहत तीन महीने में कंपलीशन प्लान तैयार किया जाएगा। इससे पहले, प्राधिकरण अपनी भूमिका को लेकर बोर्ड से सहमति प्राप्त करेगा।
इन परियोजनाओं में लगभग 1800 बायर्स ने अपनी रकम वापस ले ली है, जबकि शेष बायर्स से तय राशि का अधिकांश हिस्सा पहले ही लिया जा चुका है। हालांकि, यमुना प्राधिकरण निर्माण लागत का अतिरिक्त भार बायर्स पर नहीं डालेगा। परियोजनाओं को समय पर पूरा करने और धनराशि के प्रबंधन के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो यह सुनिश्चित करेगा कि फंड की कोई कमी न हो।