वैसे तो अगर आप लाल बहादुर शास्त्री के किस्सों को पढ़ने बैठोंगे तो आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा। लेकिन क्या आपको पता है शास्त्री ने अपना सारा जीवन सादगी से गरीबों की सेवा में लगाया दिया था। स्वाधीनता संग्राम के 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च तथा 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन जैसे महत्वपूर्ण आन्दोलनों में इनकी अहम भागीदारी रही थी। इन आन्दोलनों के चलते शास्त्री को कई बार जेल भी जाना पड़ा था।


लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में देश ने पाकिस्तान को 1965 के युद्ध में काफी बुरी तरह हराया। इसके कुछ समय बाद एक साजिश के तहत शास्त्री को रूस बुलवाया गया, न्योते को शास्त्री ने स्वीकार भी कर लिया। इस दौरान शास्त्री पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाकर पाकिस्तान के जीते हुए इलाके उन्हें लौटाने के लिए ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर करा लिए। शास्त्री ने ये बात कहते हुए हस्ताक्षर किए कि वह हस्ताक्षर जरूर कर रहे हैं पर यह जमीन कोई दूसरा प्रधानमंत्री ही लौटाएगा, वह नहीं। समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ घंटे बाद ही 10/11 जनवरी, 1966 की रात में 1.32 बजे संदिग्ध परिस्थितियों में लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई। जिसके बाद मरणोपरान्त 1966 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।