Report By :ICN Network Gorakhpur (UP)
यूपी के गोरखपुर में मेडिकल माफियाओं का बड़ा गैंग पर शिकंजा कसा है। चिकित्सक, संचालक समेत कुल 8 लोगों को अरेस्ट किया गया है. ये सभी सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को झांसे में लेकर प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर उनसे मोटी रकम ऐंठते रहे हैं।हैरत की बात ये है कि देर रात पड़े छापे के बाद यहां आईसीयू में लाश का भी इलाज ठीक उसी तरह करके तीमारदारों से रुपए ऐंठे जा रहे थे।
गोरखपुर के डीएम कृष्णा करुणेश, एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर और एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई की मौजूदगी में 8 आरोपियों अस्पताल के संचालक, चिकित्सक, प्रबंधक, एंबुलेस चालक और अन्य आरोपियों को रविवार को पुलिस लाइन्स सभागार में पेश किया गया. गोरखपुर के एसएसपी डा. गौरव ग्रोवर ने बताया कि गोरखपुर में जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के ज्वाइंट आपरेशन में 8 मेडिकल माफियाओं को अरेस्ट किया गया है. बीआरडी मेडिकल कालेज में आने वाले आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों और बिहार के परेशानहाल मरीज और तीमारदारों को चिकित्सक और मेडिकल स्टॉफ बनकर वहां पर झांसे में लेने के बाद प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराकर उनका इलाज किया जाता है.
एसएसपी ने बताया कि इसकी जानकारी मिलने के बाद गोरखपुर के रामगढ़ताल थानाक्षेत्र के पैडलेगंज-रुस्तमपुर रोड पर पंजीकरण व मानकों की जांच की गई. ईशू हास्पिटल पर जिला प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ज्वाइंट छापेमारी की. इसमें वहां आईसीयू में एक ऐसे मरीज को भी पाया गया, जिसकी पहले ही मौत हो चुकी है. वहां पर उसे भी इलाज के नाम पर मोटी रकम ऐंठने के लिए भर्ती किया गया था. एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई के मार्गदर्शन और एएसपी/सीओ कैंट अंशिका वर्मा के पर्यवेक्षण में रामगढ़ताल थानाक्षेत्र के टीम को जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम और जिला प्रशासन की टीम के साथ भेजा गया।
जांच के दौरान हास्पिटल में तीन मरीज भर्ती पाए गए. अस्पतला में कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं मिले. वहां पर मात्र पैरामेडिकल स्टाफ उपस्थित थे. इनकी शैक्षिक योग्यता डिप्लोमा इन फार्मेसी है. पैरामेडिकल स्टाफ द्वारा यह बताया गया कि इस अस्पताल में रेनू पत्नी नितिन यादव द्वारा संचालित किया जाता है। ये अस्पताल डा. रणंजय प्रताप सिंह के नाम से पंजीकृत है।यहां भर्ती मरीजों के तीमारदारों ने अवगत कराया गया कि ये तीनों मरीज पहले बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती कराने के लिए ले गए थे।जहां पर आरोपियों ने बीआरडी मेडिकल कालेज में मरीजों की उचित स्वास्थ्य सुविधाओं के नहीं होने की बात कहकर विश्वास में लेकर निजी अस्पताल में भर्ती कराने हेतु प्रेरित किया गया ।
इसके बाद तीमारदारों को बरगलाकर मरीज को ईशू हास्पिटल रुस्तमपुर में अच्छी व्यवस्था का झांसा देकर निजी एम्बुलेन्स से लाकर भर्ती कराया गया. ईशू हास्पिटल में भर्ती कराने के बाद हास्पिटल संचालक के साथ मिलकर तीमारदारों से लाखों रुपए जमा करा लिया गया. इसके बाद में मरीज को वहां पर कोई डाक्टर अटेन्ड नहीं करने पर मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी ।परिजन बार-बार डाक्टर को बुलाने की बात कहते रहे. लेकिन हास्पिटल संचालक, रेनू और उनके पति नितिन और नितिन के भाई अमन खुद मरीज को देख रहे थे. कोई डाक्टर और चिकित्सीय सुविधायें उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीज की मृत्यु हो गई. इसके बाद भी निजी अस्पताल के संचालक नितिन और अमन द्वारा मृतक के मुंह में आक्सीजन मास्क, मृतक को जीवित बताकर संचालक द्वारा ऑक्सीजन लगाकर रुपया, दवा और इंजेक्शन के लिए धोखे से रुपए ऐंठ रहे थे. जबकि मरीज की पहले ही मौत हो चुकी थी।
दो मरीजों से भी दवा और इन्जेक्शन के नाम पर काफी पैसा ले चुके थे. तीमारदारों की बात को सुनने के बाद गोपनीय जांच, पूछताछ और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी से पुलिस को पता चला कि दीपू, मनोज, अजीत, अमन, अजय और इन्द्रजीत अस्पतालों की दलाली करते हैं. अस्पताल संचालक रेनू, उसका पति नितिन और नितिन का भाई अमन बीआरडी मेडिकल कालेज के ट्रालीमैन दिनेश और अन्य भी शामिल हैं. ये सभी बीआरडी मेडिकल कालेज से मरीजों को गेट पर ही ट्रालीमैन और अन्य की सहायता से निजी हास्पिटल में लाकर भर्ती कराते हैं. उसके बदले अस्पताल संचालक इन्हें मरीज के तीमारदारों से ऐंठी गई मोटी रकम में से हिस्सा देते हैं।
आरोपी मरीजों को सरकारी एंबुलेंस से बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी में लाते हैं. इमरजेंसी के आसपास पहले से सक्रिय दलाल, जिन्हें वहां मौजूद कर्मी जैसे की गार्ड, ट्रालीमैन द्वारा सहयोग दिया जाता है. वे वहां मौजूद रहते है. जैसे ही मरीज एंबुलेंस से उतरता है, और इमरजेंसी में भेजा जाता है, वहां दलाल मरीज को चारों तरफ से घेर लेते है. जब तक मरीज का तीमारदार पर्चा बनवाकर इमरजेंसी में मरीज के पास पहुंचता है, तब तक ये दलाल मरीज और उसके परिजनों को डराकर अपने झांसे में लेने की कोशिश कर रहे होते है. ये दलाल अक्सर मरीज के परिजनों को अस्पताल में अच्छी सुविधाएँ न होने, आई.सी.यू में बेड उपलब्ध न होना व इमरजेन्सी में बेड उपलब्ध नहीं होने का डर दिखाकर प्रतिष्ठित अस्पतालों में ले जाने की बात करके झांसे में ले लेते हैं. इसके बाद निजी एंबुलेंस गैंग के सरगना को कॉल कर मरीज को ले जाने की बात कहते हैं. इसके बाद मरीजों को एंबुलेंस से गैंग द्वारा संचालित प्राइवेट अस्पताल में भेज दिया जाता है. जहां कोई सुविधा उपलब्ध नहीं होती है. मरीजों से इलाज के नाम पर बहुत मोटी रकम वसूली जाती है।