Report By : Ankit Srivastav (ICN Network)
Noida : होली के दिन यानि सोमवार, 25 मार्च इस्कॉन नोएडा में श्री चैतन्य महाप्रभु का आविर्भाव दिवस (गौर पूर्णिमा) एवं होली महोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया, होली भगवान के प्रेम का त्योहार है जो सभी को प्रेम प्रदान करने के लिए स्वयं भगवान श्री कृष्ण पांच सौ वर्ष पूर्व होली के दिन भगवान चैतन्य के रूप में इस धरती पर अवतरित हुए थे। इसलिए, गौड़ीय वैष्णव परम्परा में होली को गौर पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस उत्सव के लिए मन्दिर में काफी समय से तैयारियाँ चल रही थीं। भगवान के लिए भक्तों द्वारा विशेष पोशाक तैयार की गई थीं, जिसे भगवान को आज पहनाया गया। इसके साथ ही साथ नये आभूषण भी भगवान को अर्पित किए गए। भगवान का सुन्दर फूलों से श्रृंगार किया गया। आपको बतादें शाम से ही ही मन्दिर में श्रद्धालु भगवान के दर्शन हेतु मन्दिर आने लगे थे और मुख्य उत्सव शाम 5 बजे शुरू हुआ था ।
इस पूरे उत्सव के दौरान मनमोहक कीर्तन होता रहा जिसमे सभी भक्त लीन थे इसके साथ ही भगवान का पंच गव्य अभिषेक किया गया। गाय के दूध, दही, घी, शहद, ताजे फलों के रस, नारियल पानी आदि से भगवान का अभिषेक किया गया।इस महा पर्व पर भगवान की महा आरती भी की गई और भगवान को 108 भोग चढ़ाए गए। जिसमे कुछ खास व्यंजन पिज्जा, पास्ता, बर्गर, विभिन्न प्रकार के केक और पेस्ट्री जैसे विदेशी व्यंजनों के साथ-साथ परम्परागत व्यंजन जैसे पराँठे, पूरी, कचौड़ी, हलवा, गुझिया आदि भी भगवान को अर्पित किए गए। श्री श्री राधा गोविन्द देव के अभिषेक के लिए एक हजार किलो ताजा सुगन्धित पुष्पों का प्रयोग किया गया।
मन्दिर के सह अध्यक्ष श्रीमन वंशीधर प्रभु ने अपने प्रवचन में गौर पूर्णिमा के महत्त्व के विषय में चर्चा करते हुए बताया कि श्री चैतन्य महाप्रभु श्री श्री राधा कृष्ण की करुणा का युगल स्वरूप हैं। कलियुग में, भगवान का पवित्र नाम ही शान्ति प्राप्त करने की एकमात्र विधि है। भगवान के प्रेम को वितरित करने के लिए भगवान कृष्ण स्वयं भगवान चैतन्य के रूप में एक भक्त के रूप में प्रकट हुए। भगवान चैतन्य ने एक शुद्ध भक्त के गुणों का प्रदर्शन किया, जिसका अनुसरण प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। उन्होंने मुक्त हस्त से सभी को हरे कृष्ण महामंत्र का वितरण किया, जिसका जप करके कोई भी व्यक्ति भगवान के धाम वापस लौट सकता है। श्रद्धालुओं ने फूलों की होली का जमकर आनन्द लिया। सभी लोग एक दूसरे को गले मिलकर और एक-दूसरे को होली एवं गौर पूर्णिमा की बधाई दे रहे थे। इस उत्सव में विश्व के अलग अलग देशों, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा और फ्रांस से आए हुए भक्तों सहित लगभग 3000 लोगों ने भाग लिया। उत्सव के अंत में सभी ने भगवान को अर्पित भोग को महाप्रसाद के रूप में स्वीकार किया तथा सभी ने रात्रि भोज मन्दिर में ही ग्रहण किया। कुल मिलाकर उत्सव बड़े हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हुआ।