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छत्रपति शिवाजी के वीर पुत्र संभाजी महाराज, जिन्होंने संघर्ष कर पिता की गद्दी हासिल की

Report By : ICN Network
मराठा शासक छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर आधारित आगामी बॉलीवुड फिल्म ‘छावा’ फरवरी में रिलीज होने वाली है. कौन थे वह, क्यों अक्सर चर्चा में रहते हैं

बॉलीवुड ने छत्रपति शिवाजी महाराज के वीर पुत्र संभाजी महाराज पर आधारित फिल्म ‘छावा’ बनाई है, जो फरवरी के मध्य में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में अभिनेता विक्की कौशल ने संभाजी महाराज की भूमिका निभाई है, जबकि रश्मिका मंदाना उनकी पत्नी महारानी येसुबाई का किरदार निभा रही हैं। हालांकि, फिल्म के एक डांस सीन को लेकर विवाद भी हुआ, जिसके चलते एक लेज़िम डांस सीन को हटाने की बात की जा रही है।

लेज़िम क्या है?

लेज़िम महाराष्ट्र का एक पारंपरिक नृत्य रूप है, जिसे विशेष रूप से विवाह समारोहों और सांस्कृतिक आयोजनों में किया जाता है। यह नृत्य राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में शारीरिक शिक्षा अभ्यास का हिस्सा भी है। यह गणेश चतुर्थी और अन्य उत्सवों में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। लेज़िम एक छोटे हथौड़े जैसा होता है, जिसमें धातु के टुकड़े जुड़े होते हैं, जो एक विशिष्ट ध्वनि उत्पन्न करते हैं। इसे समूह में किया जाता है और यह एक कठोर शारीरिक अभ्यास के साथ-साथ एक मनोरंजक नृत्य भी है।

छत्रपति संभाजी महाराज कौन थे?

छत्रपति संभाजी महाराज, छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र थे। वे 1681 में अपने सौतेले भाई राजाराम के खिलाफ खूनी उत्तराधिकार युद्ध के बाद सत्ता में आए। उनके समकालीन मुगल सम्राट औरंगजेब थे, जिनकी विस्तारवादी नीतियों के कारण संभाजी महाराज को निरंतर संघर्ष का सामना करना पड़ा। वे एक बहादुर योद्धा, कुशल प्रशासक और रणनीतिकार थे। उन्होंने मुगलों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष किया और मराठा साम्राज्य की नौसेना को मजबूत किया। उनकी वीरता और बलिदान के कारण उन्हें ‘धर्मवीर’ की उपाधि दी गई

जन्म और पारिवारिक जीवन

संभाजी महाराज का जन्म 14 मई 1657 को महाराष्ट्र के पुरंदर किले में हुआ था। उनकी माता महारानी सईबाई, शिवाजी महाराज की पहली और मुख्य पत्नी थीं। सईबाई से शिवाजी को चार संतानें हुईं, जिनमें वीर संभाजी महाराज भी शामिल थे

संभाजी का विवाह जिवुबाई (येसुबाई) से हुआ, जो पिलाजी शिर्के की पुत्री थीं। विवाह एक राजनीतिक गठबंधन के रूप में संपन्न हुआ, जिससे शिवाजी को कोंकण तटीय क्षेत्र तक पहुंच प्राप्त हुई। येसुबाई से संभाजी के दो संतानें हुईं – एक पुत्र शाहू प्रथम, जो आगे चलकर मराठा साम्राज्य के छत्रपति बने, और एक पुत्री भवानी बाई

औरंगजेब से संघर्ष और बलिदान

संभाजी महाराज ने कई वर्षों तक औरंगजेब के मंसूबों को नाकाम किया। 1689 में, संगमेश्वर में गद्दार गणोजी शिर्के की सहायता से मुगलों ने उन्हें बंदी बना लिया। औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम अपनाने का आदेश दिया, जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें 40 दिनों तक अमानवीय यातनाएं दी गईं और 11 मार्च 1689 को उनकी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई

संभाजी की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य में अव्यवस्था फैल गई। उनके छोटे सौतेले भाई राजाराम प्रथम ने गद्दी संभाली और राजधानी को दक्षिण में जिंजी स्थानांतरित किया। संभाजी की मृत्यु के कुछ दिनों बाद रायगढ़ किला मुगलों के कब्जे में चला गया। उनकी विधवा येसुबाई और पुत्र शाहू को मुगलों ने बंदी बना लिया। शाहू को 18 वर्षों तक कैद में रखा गया, जब तक कि औरंगजेब की मृत्यु नहीं हो गई

संभाजी महाराज का साहित्यिक योगदान

संभाजी महाराज केवल योद्धा ही नहीं, बल्कि एक विद्वान लेखक भी थे। उन्होंने संस्कृत में ‘बुद्धभूषणम’ नामक महत्वपूर्ण ग्रंथ लिखा, जिसमें राजनीति और सैन्य रणनीति पर विस्तृत चर्चा की गई है। इसके अलावा, उन्होंने तीन अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथ – ‘नायिकाभेद’, ‘सातशतक’ और ‘नखशिखा’ भी लिखे। उनके लेखन में राजा के कर्तव्यों, युद्धनीति और प्रशासनिक मामलों का विवरण मिलता है

संभाजी महाराज के अद्वितीय पराक्रम, प्रशासनिक कुशलता और अटूट निष्ठा के कारण उन्हें इतिहास में एक महान योद्धा के रूप में याद किया जाता है। उनकी वीरता और बलिदान पर बनी फिल्म ‘छावा’ निश्चित रूप से उनके गौरवशाली जीवन को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में सहायक होगी

By admin

Journalist & Entertainer Ankit Srivastav ( Ankshree)

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