Report By : ICN Network
महाराष्ट्र की राजनीति में मंगलवार को एक दिलचस्प मोड़ आया जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के 55वें जन्मदिन पर उन्हें विरोधी खेमे से सराहना मिली। इस मौके पर राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने ‘महाराष्ट्र नायक’ नामक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया, जिसमें फडणवीस के काम और नेतृत्व पर वरिष्ठ नेताओं शरद पवार और उद्धव ठाकरे के विचार शामिल हैं।
इस अप्रत्याशित प्रशंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि वे विचारधारा के स्तर पर इन नेताओं से भले ही भिन्न हों, लेकिन आपसी सम्मान बना हुआ है। नागपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने साफ कहा, “हम वैचारिक रूप से विरोध में हैं, लेकिन एक-दूसरे के दुश्मन नहीं। शरद पवार एक अनुभवी और उदार नेता हैं। उनका मूल्यांकन मेरे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।”
कॉफी टेबल बुक में राकांपा प्रमुख शरद पवार ने फडणवीस की तुलना अपने युवा मुख्यमंत्री काल से करते हुए लिखा कि फडणवीस की प्रशासनिक समझ गहरी है और वे नीतिगत मामलों में तेज दिमाग रखते हैं। पवार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब वह 1978 में मुख्यमंत्री बने थे, तब उनकी उम्र महज 38 साल थी — उसी उम्र के आसपास फडणवीस ने भी 2014 में सीएम पद संभाला था। एक हल्के-फुल्के अंदाज़ में उन्होंने कहा कि फडणवीस की शारीरिक बनावट उन्हें उनकी अपनी याद दिलाती है, और वह यह देखकर हैरान हैं कि फडणवीस कभी थकते नहीं।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी इस पुस्तक में फडणवीस की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक अध्ययनशील और प्रतिबद्ध नेता बताया है, जिनकी रणनीतियों ने महाराष्ट्र में भाजपा को मज़बूत आधार दिलाया। ठाकरे ने यह भी लिखा कि फडणवीस के पास राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता है और उन्होंने उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके देवेंद्र फडणवीस ने 2014 में जब पहली बार पद संभाला था, तब वे 44 वर्ष के थे — जिससे वे महाराष्ट्र के इतिहास में शरद पवार के बाद सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने। वे राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री भी रहे हैं और उनका नेतृत्व महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के बढ़ते प्रभाव का प्रतीक बन गया है, जहां कभी कांग्रेस का एकछत्र राज हुआ करता था।
इस सौहार्द्रपूर्ण राजनीतिक संवाद से यह सवाल उठता है — क्या महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरणों में कोई नई बुनियाद रखी जा रही है या फिर यह सिर्फ व्यक्तिगत सम्मान का परिचायक है? हालांकि तस्वीर साफ नहीं, लेकिन इन बयानों ने सियासी हलकों में नई चर्चा को जन्म ज़रूर दे दिया है।