दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस पर हुई पतंगबाजी के बाद सड़कों पर जानलेवा मांझे का खतरा बढ़ गया है। ये मांझे पेड़ों और तारों में उलझे हुए हैं जिससे दोपहिया वाहन चालकों के घायल होने और जान जाने का खतरा है।
राजधानी की सड़कों पर अगले कुछ दिन संभलकर चलें। स्वतंत्रता दिवस पर जमकर पतंगबाजी हुई है। इनमें जानलेवा मांझों (नायलान या मेटैलिक कोटिंग वाला धागा) से भी पतंगें उड़ाई गई हैं।पतंगों से कटने के बाद ये मांझे पेड़ों, तारों में उलझ गए हैं जो राह चलते दोपहिया वाहन चालकों की जान जोखिम में डाल सकते हैं। 15 अगस्त के अगले ही दिन दिल्ली और फरीदाबाद में जानलेवा मांझे से गला कटने के दो मामले सामने आ चुके हैं।
बीते कुछ वर्षों में सैकड़ों बाइक और स्कूटर सवार तेज धार वाले मांझे की चपेट में आकर घायल हुए हैं। कई ने अपनी जान गंवाई। गले पर गहरी चोट और चेहरे पर कटाव आम बात हो गई है। पक्षियों की मौत तो असंख्य हैं, लेकिन सबसे बड़ा खतरा दोपहिया चालकों पर मंडरा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह मांझा साधारण सूती धागे से 10 गुना अधिक मज़बूत होता है। हवा में तेज रफ्तार से भागते वाहनों के गले या चेहरे पर यह अचानक चाकू जैसी धार बनकर चोट करता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ डा. अजय लेखी का कहना है कि गले की खाल के नीचे पतली नसें होती हैं। मांझा सीधे इन्हें काट देता है। अगर गलत नस काट जाए तो पांच लीटर तक खून एक मिनट में निकल सकता है। इससे जान जा सकती है। कई बार घबराकर लोग गिर जाते हैं और उन्हें सिर में चोट लग जाती है। इससे सदमे में चले जाते हैं।