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नोएडा: सुपरविजन अकाउंट में रकम डालने के नाम पर करते थे ठगी

सेक्टर-70 में फर्जी थाना खोलकर लोगों को ठगने वाले गिरोह को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं। कस्टडी रिमांड पर लेकर आरोपियों से हुई पूछताछ में पता चला कि ये आरोपी वीडियो कॉल कर प्रवासी भारतीयों को निशाना बनाते थे। उन्हें डरा धमका कर उनसे सुपरविजन अकाउंट में रकम डालने के नाम पर ठगी करते थे। ये जालसाज पुलिस व जांच एजेंसियों के नकली दस्तावेज दिखाकर धोखाधड़ी की वारदात को अंजाम देते थे।

कोतवाली फेज-3 पुलिस ने एक सप्ताह पहले सेक्टर-70 में नकली पुलिस व उसके थाने का भंडाफोड़ किया था। पकड़े गए सभी 6 आरोपी मूलरूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। थाने जैसा इंटरनेशनल पुलिस एंड क्राइम इंवेस्टिगेशन ब्यूरो नाम से दफ्तर खोलने और उसके संचालन का मास्टर माइंड आरोपी बिभास चंद्र अधिकारी है।

पूछताछ में पता चला कि यह गैंग आम लोगों के अलावा प्रवासी भारतीयों और ओवरसीज़ सिटिजऩ ऑफ इंडिया कार्ड धारकों को निशाना बनाता था। उन्हें यह विश्वास दिलाया जाता था कि अगर जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो उन्हें भारत आने की अनुमति नहीं मिलेगी और न ही भविष्य में उन्हें सिटीजन कार्ड जारी होगा।
इसी भय का फायदा उठाकर गैंग उनसे धन की मांग करता था। गैंग के सदस्य को पीडि़तों को विश्वास दिलाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट टीम्स पर वीडियो कॉल करते थे। इसमें पुलिस, क्राइम ब्रांच से लेकर अन्य प्रवर्तन एजेंसियों का नकली दस्तावेज दिखाते थे। जब पीडि़त अपने आपको बेकसूर बताता था तो उसे कहते थे कि भारत आने के लिए और भविष्य में किसी भी जांच से बचने के लिए उसे भारत सरकार से पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा।

जिसे वह दिला सकते हैं। इसके साथ ही पीडि़तों से कहा जाता था कि मनी लांड्रिंग केस में बेगुनाही साबित करने के लिए पीडि़त को कुछ धनराशि सुपरविजन अकाउंट में भेजनी होगी। जांच में यह भी सामने आया है कि यह गिरोह ठगी से प्राप्त धनराशि को पहले अंतरराष्ट्रीय खातों में ट्रांसफऱ करता है और उसके बाद हवाला नेटवर्क के ज़रिये उसे वापस भारत में मंगाता था।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

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