Report By: ICN Network
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सुशासन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए न्याय प्रणाली का सरल और तेज़ होना बेहद आवश्यक है। वे शनिवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में आयोजित उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा संघ के 42वें सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। कार्यक्रम की शुरुआत उन्होंने मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों के साथ दीप प्रज्वलन कर की।
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी राज्य की छवि और परसेप्शन में न्यायपालिका की अहम भूमिका होती है। यदि न्याय सुलभ और त्वरित होगा तो राज्य और देश दोनों मजबूत बनेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत’ के दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए कहा कि मजबूत न्यायिक व्यवस्था ही सबकी खुशहाली का आधार बन सकती है। मुख्यमंत्री ने नए आपराधिक कानूनों—भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम—का जिक्र करते हुए कहा कि शुरुआत में भले ही इन्हें लेकर कुछ आशंकाएं थीं, लेकिन न्यायिक अधिकारियों ने इन्हें तत्परता से लागू किया। ये कानून दंड पर आधारित न होकर न्याय की सुदृढ़ व्यवस्था पर केंद्रित हैं और आने वाले समय में लोकतंत्र को और मजबूती देंगे।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार न्यायपालिका को हर स्तर पर सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने प्रयागराज और लखनऊ में न्यायाधीशों के आवास निर्माण की स्वीकृति, भवन रखरखाव और न्यायिक अधिकारियों के वेतन-भत्तों के लिए बड़े वित्तीय प्रावधानों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और ऑडिटोरियम का निर्माण किया जा रहा है तथा डॉ. राजेंद्र प्रसाद विधि विश्वविद्यालय के लिए भी सरकार ने धनराशि उपलब्ध कराई है। इसके अलावा सुरक्षा के लिए 50 करोड़ रुपये का विशेष फंड दिया जाएगा और आने वाले समय में न्यायालयों को आधुनिक तकनीक, डिजिटल सुविधाओं और ई-फॉरेंसिक व्यवस्था से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि अब न्यायालयों को वातानुकूलित बनाने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे ताकि न्यायिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं को बेहतर माहौल मिल सके।
सम्मेलन में न्यायिक सेवा संघ के अध्यक्ष डी.के. सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रति न्यायाधीश औसतन 4500 मामले लंबित हैं, फिर भी प्रत्येक न्यायाधीश ने सालाना लगभग 2350 मामलों का निस्तारण किया है। इस दृष्टि से यूपी देश का सबसे आगे रहने वाला राज्य है। हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि हाईकोर्ट में 163 न्यायाधीशों के पद स्वीकृत हैं, लेकिन फिलहाल केवल 83 पद ही भरे हुए हैं।