दोनों विशेषज्ञों के अनुसार, देशभर की क्लीनिक्स में एक स्थायी प्रवृत्ति दिखती है: करीब 30% मरीज कई अस्पतालों/विशेषज्ञों से मिलने के बाद भी अगले कदम को लेकर असमंजस में रहते हैं। HeartWise Second Opinion इस निर्णय-दुविधा को सही तरीके से और अंतराष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुरूप समीक्षा के जरिए दूर करता है। कार्यक्रम कैसे काम करता है?
व्यापक केस समीक्षा: सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट हालिया एंजियोग्राफी, इकोकार्डियोग्राफी और पुराने मेडिकल रिकॉर्ड्स के साथ विस्तृत क्लिनिकल हिस्ट्री का मूल्यांकन करते हैं।
केवल आवश्यकता होने पर जांच: एनाटॉमी या जोखिम स्पष्ट करने के लिए यदि किसी अतिरिक्त टेस्ट (जैसे फंक्शनल असेसमेंट) की ज़रूरत हो, तो उसे सुनियोजित ढंग से सलाह दिया जाता है।
मानक-आधारित सिफारिश: अंतिम सलाह अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकृत क्लिनिकल मानक-आधारित सिफारिश: अंतिम सलाह अंतरराष्ट्रीय तौर पर स्वीकृत क्लिनिकल गाइडलाइन्स के अनुरूप होती है और उम्र, कोरोनरी एनाटॉमी, भारत में उपलब्ध सुविधाएँ, तथा सह-रोगों (जैसे डायबिटीज, किडनी रोग) के अनुसार वैयक्तिकृत की जाती है। हृदय उपचार में अक्सर एक से अधिक उचित विकल्प होते हैं। HeartWise Second Opinion का उद्देश्य अनिश्चितता कम करना, अनावश्यक प्रक्रियाओं से बचना, और विशेषकर जटिल/बॉर्डरलाइन मामलों में सूचित व साझी निर्णय-प्रक्रिया को सक्षम बनाना है।
डॉ. समीर गुप्ता, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट; ग्रुप हेड—कार्डियक कैथ लैब; डायरेक्टर, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, ने कहा:
“जब बात दिल की हो, तो विकल्पों पर विचार करना समझदारी है। हम अक्सर देखते हैं कि मरीजों को अलग-अलग जगहों पर अलग सलाह मिलती है—कहीं स्टेंटिंग, कहीं बायपास, तो कहीं सिर्फ दवाइयाँ। प्रमाण-आधारित दृष्टिकोण और मरीज की पूरी क्लिनिकल तस्वीर पर आधारित व्यवस्थित सेकंड ओपिनियन से स्पष्टता आती है। हमारा लक्ष्य है—सही समय पर, सही व्यक्ति को, सही उपचार देना—और उसके पीछे का ‘क्यों’ भी स्पष्ट करना।”
डॉ. विनय कुमार बहल, हेड ऑफ कार्डिएक सर्विसेज, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स; पूर्व एचओडी, कार्डियोलॉजी, एम्स नई दिल्ली, ने कहा:
“कार्डियोलॉजी में चार दशकों से अधिक के अनुभव ने एक बात साफ बताई है: वैयक्तिकृत निर्णयों से परिणाम बेहतर होते हैं। उम्र, प्रभावित धमनियाँ, वेंट्रिकुलर फंक्शन, डायबिटीज, किडनी की स्थिति—ये विवरण अहम हैं। HeartWise Second Opinion मरीजों को शांत, समग्र समीक्षा देता है ताकि अंतिम योजना वैज्ञानिक होने के साथ-साथ उसी व्यक्ति के लिए व्यावहारिक और सुरक्षित भी हो।”
डॉ. पुरशोत्तम लाल, चेयरमैन, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स और भारत में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी के पायनियर, ने कहा:
“सेकंड ओपिनियन जिम्मेदार चिकित्सा का संकेत है। यह कार्यक्रम उसी बात को औपचारिक रूप देता है जो अच्छे चिकित्सक करते हैं—ध्यान से सुनना, पूरी तरह विश्लेषण करना, और पारदर्शी सिफारिश देना। हमारी प्रतिबद्धता सरल है: निष्पक्ष, मरीज-केंद्रित सलाह जो दीर्घकालिक हृदय-स्वास्थ्य पर केंद्रित हो।”