दिल्ली हाईकोर्ट का सरकार पर तीखा प्रहार, '2025 में टिन शेड में स्कूल? शर्मनाक और अस्वीकार्य!'
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को सरकारी स्कूलों की बदहाली पर कड़ा प्रहार करते हुए जमकर फटकार लगाई है। कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि 2025 जैसे आधुनिक युग में बच्चों को टिन शेड की जर्जर कक्षाओं में पढ़ने के लिए मजबूर करना न केवल शर्मनाक है, बल्कि शिक्षा के मंदिरों का अपमान है। जस्टिस तुषार राव गेडेला ने दिल्ली सरकार के वकील को आड़े हाथों लेते हुए सवाल दागा, “जब आपके स्कूल टिन शेड में चल रहे हैं, तो निजी स्कूलों की चमक-दमक से कैसे मुकाबला करेंगे?”
यह गंभीर मुद्दा तब उजागर हुआ, जब नागरिक अधिकार संगठन ‘सोशल जुरिस्ट’ ने एक जनहित याचिका दायर कर दिल्ली की राजधानी में तीन सरकारी स्कूलों की दयनीय स्थिति को कोर्ट के सामने रखा। याचिका में खुलासा हुआ कि इन स्कूलों में बच्चे टिन शेड की अस्थायी और असुरक्षित कक्षाओं में पढ़ाई करने को विवश हैं।
टिन शेड में पढ़ाई: न वेंटिलेशन, न सुरक्षा
याचिका के मुताबिक, करीब 14,000 छात्र-छात्राएं सर्वोदय कन्या विद्यालय (जीनत महल, कमला मार्केट), गवर्नमेंट गर्ल्स सेकेंडरी स्कूल और गवर्नमेंट बॉयज सेकेंडरी स्कूल (अशोक नगर) जैसे स्कूलों में टिन शेड की कक्षाओं में पढ़ रहे हैं। ये कक्षाएं पढ़ाई के लिए बिल्कुल अनुपयुक्त हैं। खासकर कमला मार्केट का स्कूल चिंता का सबब बना हुआ है, जहां न तो हवा का गुजर है, न इंसुलेशन की व्यवस्था, और न ही तापमान नियंत्रण की सुविधा। गर्मियों में भीषण उमस और तपिश बच्चों के लिए असहनीय हो जाती है, जिससे उनकी सेहत और पढ़ाई दोनों खतरे में पड़ रही हैं।
रामलीला मैदान के पास जर्जर ढांचा: पढ़ाई या जोखिम?
हाईकोर्ट ने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि कमला मार्केट का स्कूल रामलीला मैदान के पास है, जहां हर दिन भीड़भाड़ और शोर का आलम रहता है। ऐसे अस्थायी और असुरक्षित ढांचों में पढ़ाई का माहौल बनाना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशालय को इस मामले में तुरंत जवाब दाखिल करने का आदेश दिया। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा, “2025 में टिन शेड स्कूल? न दीवारें, न डेस्क, न ब्लैकबोर्ड! बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा दोनों दांव पर हैं। यह स्थिति बिल्कुल अस्वीकार्य है।”
निजी स्कूलों से मुकाबला? सरकार की लचर व्यवस्था पर सवाल
हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लेते हुए सवाल उठाया कि जब सरकारी स्कूलों की हालत इतनी दयनीय है, तो निजी स्कूलों की आधुनिक सुविधाओं से कैसे टक्कर लेंगे? याचिकाकर्ता ने कोर्ट को याद दिलाया कि जुलाई 2024 में हाईकोर्ट ने शिक्षा विभाग को स्कूलों में डेस्क, किताबें, यूनिफॉर्म और बुनियादी सुविधाएं तय समय में मुहैया कराने का आदेश दिया था, लेकिन सरकार की सुस्ती ने हालात को जस का तस रखा है।
हाईकोर्ट का आदेश: तुरंत स्थायी भवन में शिफ्ट करें बच्चे
दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिए कि बच्चों को तत्काल स्थायी और सुरक्षित भवनों में शिफ्ट किया जाए। साथ ही, इन जर्जर टिन शेड कक्षाओं को जल्द से जल्द पक्के स्कूल भवनों में तब्दील करने की मांग की गई। कोर्ट ने सरकार को चेतावनी दी कि शिक्षा का अधिकार बच्चों का मौलिक हक है, और इसे किसी भी कीमत पर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
17 सितंबर को होगी अगली सुनवाई: सरकार पर नजर
दिल्ली हाईकोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर 2025 को करेगा, जहां सरकार को अपनी कार्रवाई का हिसाब देना होगा। सोशल जुरिस्ट की याचिका ने न केवल सरकारी स्कूलों की बदहाली को उजागर किया है, बल्कि यह सवाल भी उठाया है कि आखिर दिल्ली जैसे आधुनिक शहर में बच्चे टिन शेड में पढ़ने को क्यों मजबूर हैं? कोर्ट की इस फटकार ने दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है, और अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सरकार बच्चों के भविष्य को प्राथमिकता देगी या फिर सुस्ती का सिलसिला जारी रहेगा।