अखिलेश यादव का गिरिराज सिंह पर तीखा प्रहार
उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर तूफानी बयानबाजी का दौर शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज सांसद अखिलेश यादव ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर निशाना साधते हुए सनसनीखेज दावा ठोक दिया। लखनऊ में सपा मुख्यालय पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में अखिलेश ने गिरिराज सिंह का नाम सुनते ही तंज कसते हुए कहा, “अरे, वो तो खुद नॉन-वेजिटेरियन हैं!” यह बयान न केवल गिरिराज सिंह के विवादित बयान का जवाब था, बल्कि सियासी गलियारों में नई बहस को जन्म दे गया। अखिलेश ने हल्के-फुल्के अंदाज में, लेकिन गहरे कटाक्ष के साथ बीजेपी को कटघरे में खड़ा कर दिया।
गिरिराज सिंह के ‘नमक हराम’ बयान पर अखिलेश का पलटवार: सनातन पर सवाल
दरअसल, प्रेस वार्ता में एक पत्रकार ने अखिलेश से गिरिराज सिंह के उस बयान पर सवाल किया, जिसमें उन्होंने मुस्लिम समुदाय को ‘नमक हराम’ करार देते हुए कहा था कि केंद्र की मोदी सरकार और बिहार की नीतीश सरकार मुस्लिमों के लिए नीतियां बनाती हैं, लेकिन उन्हें वोट नहीं मिलते। इस पर अखिलेश ने बिना वक्त गंवाए तीखा तंज कसा, “अरे, वो खुद नॉन-वेजिटेरियन हैं। कोई हमें यह बताए कि हमारे साथी जो सवाल पूछ रहे हैं, उसका जवाब दें। मेरा तो बस एक सवाल है – क्या सनातन धर्म के लोग नॉन-वेज खा सकते हैं या नहीं? बस इतना बता दें!” अखिलेश का यह सवाल न केवल गिरिराज सिंह के बयान को धार देता है, बल्कि बीजेपी की धार्मिक नैतिकता पर भी सवालिया निशान लगाता है। यह बयान सियासी और सामाजिक दोनों ही स्तर पर चर्चा का केंद्र बन गया है।
सिख समाज को अखिलेश का भरोसा: ‘सम्मान और समस्याओं का समाधान हमारी प्राथमिकता’
अखिलेश यादव ने प्रेस वार्ता में सिख समाज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और वादा किया कि समाजवादी सरकार बनने पर सिख समुदाय की तमाम समस्याओं का समाधान किया जाएगा। उन्होंने जोर देकर कहा, “हम न केवल सिख समाज की समस्याओं को हल करेंगे, बल्कि उन्हें राजनीतिक तौर पर भी पूरा सम्मान देंगे।” यह बयान सपा की समावेशी नीति को रेखांकित करता है, जिसके जरिए अखिलेश अल्पसंख्यक और अन्य समुदायों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं। सिख समाज के लिए यह वादा बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में उनकी सियासी रणनीति को और मजबूत कर सकता है।
बीजेपी सरकार पर हमला: ‘स्वास्थ्य विभाग चौपट, डिप्टी सीएम की गाड़ी तक छिन गई!’
अखिलेश ने बीजेपी सरकार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ही नहीं, हर विभाग पूरी तरह चौपट हो चुका है। लूट का बाजार गर्म है। जो डिप्टी सीएम डांट-डपट खाकर काम करता हो, जिसकी अपनी गाड़ी तक छिन जाए, उससे आप क्या उम्मीद करेंगे?” यह तंज डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और उनकी हालिया विवादों पर था, जिसने बीजेपी की आंतरिक कलह को उजागर किया। अखिलेश ने बीजेपी को ‘असफल सरकार’ करार देते हुए कहा कि जब तक यह सरकार सत्ता में है, प्रदेश की कोई भी व्यवस्था ठीक नहीं हो सकती।
लखनऊ की स्वच्छता रैंकिंग पर सवाल: ‘एजेंसी के खिलाफ FIR हो!’
अखिलेश ने लखनऊ को स्वच्छता रैंकिंग में तीसरा स्थान देने वाली एजेंसी पर भी निशाना साधा। उन्होंने तल्ख लहजे में कहा, “जिस एजेंसी ने लखनऊ को तीसरा स्थान दिया, उसके खिलाफ FIR दर्ज होनी चाहिए। बीजेपी ने लखनऊ, आगरा, मथुरा और वृंदावन को बर्बाद कर दिया। सब कुछ तहस-नहस हो चुका है।” यह बयान न केवल बीजेपी सरकार की कथित नाकामियों को उजागर करता है, बल्कि अखिलेश की जनता से सीधे जुड़ने की रणनीति को भी दर्शाता है। उनकी यह टिप्पणी लखनऊ की बदहाल सड़कों, गंदगी और अव्यवस्था पर जनता के गुस्से को भुनाने की कोशिश है।
सियासी जंग का नया अध्याय: अखिलेश की रणनीति और बीजेपी की चुनौती
अखिलेश यादव का यह बयान उत्तर प्रदेश की सियासत में एक नया तूफान खड़ा कर रहा है। गिरिराज सिंह पर उनका तंज और सनातन धर्म से जुड़ा सवाल बीजेपी को बैकफुट पर लाने की कोशिश है। साथ ही, सिख समुदाय को सम्मान का वादा और बीजेपी सरकार की नाकामियों पर हमला उनकी 2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा लगता है। अखिलेश का यह अंदाज न केवल सपा कार्यकर्ताओं में जोश भर रहा है, बल्कि बीजेपी को जवाब देने के लिए मजबूर कर रहा है। यह सियासी जंग अब और तेज होने की ओर बढ़ रही है, जहां व्यक्तिगत तंज और नीतिगत मुद्दे एक साथ टकरा रहे हैं।