इस भारी बकाया के चलते बीएमसी के राजस्व पर सीधा असर पड़ा है।
नगर निगम सूत्रों के अनुसार, सरकारी मशीनरी की लापरवाही और धीमी कार्यशैली इसकी मुख्य वजह है। ज़कात (ऑक्ट्रॉय) बंद होने के बाद से संपत्ति कर ही बीएमसी की आय का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है।
लेकिन विभिन्न सरकारी एजेंसियां इस कर का भुगतान समय पर नहीं कर रही हैं, जिससे निगम की वित्तीय स्थिति प्रभावित हो रही है। कराधान विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, कई सरकारी संस्थानों पर भारी बकाया राशि दर्ज है — एमएमआरडीए (MMRDA): ₹929.79 करोड़ म्हाडा (MHADA): ₹368.55 करोड़ मुंबई पुलिस विभाग: ₹71.43 करोड़ राज्य सरकार के कार्यालय: ₹221.85 करोड़ केंद्र सरकार के कार्यालय: ₹208.68 करोड़ इस प्रकार कुल बकाया राशि ₹1800 करोड़ 33 लाख रुपये से अधिक हो गई है। इन बकाया करों के कारण मुंबई नगर निगम को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि यदि यह राशि समय पर वसूल ली जाती, तो शहर की नागरिक सेवाओं और विकास कार्यों में और तेजी लाई जा सकती थी।

