• Mon. Dec 1st, 2025

गुरुग्राम: डिजिटल अरेस्ट पीड़ित बनकर थाने पहुंचे DGP

साइबर थाने में निरीक्षण के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने साइबर अपराधों से बचाव, पीड़ितों को त्वरित राहत दिलाने और समाज को अधिक जागरूक बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी साझा की।

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओपी सिंह ने सोमवार को साइबर अपराध थाना पूर्व का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान वे स्वयं डिजिटल अरेस्ट मामले में पीड़ित के रूप में थाने पहुंचे थे। ताकि आम नागरिक को मिलने वाली वास्तविक प्रक्रिया, व्यवहार व सहायता की गुणवत्ता का जमीनी स्तर पर आकलन किया जा सके।

जब पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह साइबर थाना के गेट पर पहुंचे तो वहां तैनात सिपाही ने उनको नहीं पहचाना। जब उन्होंने पीड़ित के रूप में सिपाही से मुकदमा दर्ज के बारे में पूछा तो सिपाही ने बताया कि ड्यूटी ऑफिसर द्वितीय तल पर कमरा नंबर-24 में हैं। इस दौरान पुलिस महानिदेशक ने साइबर थाना की कार्यप्रणाली, पीड़ित सहायता व्यवस्था, रिस्पॉन्स सिस्टम और जागरूकता तंत्र की गहन समीक्षा की। डीजीपी ने कहा कि एक फीडबैक आया कि लोक अदालत में चालान का रिकॉर्ड महीनों-महीनों नहीं पहुंचता है। ऐसे में उन्होंने गुरुग्राम के पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा को इसका निदान कराने के निर्देश दिए हैं। वहीं, साइबर के आईजी को हर सप्ताह कम से कम एक साइबर थाने में निरीक्षण करने के लिए कहा है ताकि साइबर अपराध के शिकार लोगों की समस्याओं की पहचान करके निदान कराया जा सके।

साइबर थाने में निरीक्षण के बाद डीजीपी ओपी सिंह ने साइबर अपराधों से बचाव, पीड़ितों को त्वरित राहत दिलाने और समाज को अधिक जागरूक बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि हरियाणा पुलिस साइबर अपराधों की बदलती चुनौतियों से निपटने के लिए लगातार ठोस, प्रभावी और नवाचारी रणनीति अपना रही है। इस अवसर पर पुलिस आयुक्त विकास अरोड़ा, पुलिस उपायुक्त (पूर्व) गौरव, सहायक पुलिस आयुक्त (डीएलएफ) विकास कौशिक व सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) प्रियांशु दीवान मौजूद रहे।

छोटी राशि की बैंक फ्रीजिंग
डीजीपी ने बताया कि छोटी राशियों के फ्रीज होने पर पीड़ितों को आर्थिक राहत तेजी से उपलब्ध करवाने के लिए पुलिस लोक अदालत की मदद लेगी, ताकि उन्हें बिना देरी रकम की वापसी मिल सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि किसी साइबर ठगी में बैंक की ओर से लापरवाही सामने आती है, तो पीड़ित को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई का दायित्व बैंक पर रहेगा। यह पीड़ितों के अधिकारों की एक महत्वपूर्ण सुरक्षा है।

सतर्क रहेंगे तो साइबर ठगों का शिकार नहीं होंगे
डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि अधिकांश साइबर अपराध भय और लालच का लाभ उठाकर किए जाते हैं। कोई व्यक्ति आपको कमाई, इनाम, डर या किसी भी प्रकार के दबाव में रुपये भेजने को कहे तो समझ लें कि आप साइबर ठग के निशाने पर हैं। सावधानी ही सुरक्षा है। ऐसे में सतर्क रहेंगें तो साइबर ठगों का शिकार नहीं हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी संदिग्ध कॉल, लिंक, एप या प्रस्ताव पर तुरंत सतर्क हों और आवश्यकता पड़ने पर साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर तुरंत शिकायत दर्ज करवाएं।

By Ankshree

Ankit Srivastav (Editor in Chief )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *