इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दहेज प्रथा के मामले पर नाराजगी जताते हुए राज्य सरकारों को फटकार लगाई है। दहेज के एक मामले पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दहेज लेना और देना दोनों अपराध है। शहरों में इसकी होर्डिंग्स लगाईं जाएं। राज्य सरकार दहेज के खिलाफ कैंपेन चलाए।
कोर्ट ने कहा- जब आयकर विभाग दो लाख से अधिक नकद लेन-देन को अवैध मानता है। तो शादी में दिए जाने वाले दो लाख से ज्यादा के दहेज पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं होती। बीते कई महीनों से दहेज प्रथा के मामले में हुई बढ़ोत्तरी को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को दहेज प्रतिषेध कानून के नियमों को कड़ाई से लागू करने का आदेश देते हुए कहा कि जिला प्रतिषेध अधिकारी को दहेज के आरोपों की जांच कर अभियोजन की संस्तुति करने या अभियोजित करने दिया जाए। दोनों पक्ष शादी के समय वर-वधू को मिले उपहारों की सूची एक माह में दहेज निषेध अधिकारी को सौंपे।
कोर्ट ने सरकार को मीडिया, टीवी, एनजीओ की सहायता से दहेज के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि दहेज के खिलाफ होर्डिंग्स लगाई जाए तथा दहेज विरोधी कैंपेन चलाया जाए।
नकद दहेज वाले मामलों की आर्थिक स्थिति जांची जाए कोर्ट ने मुख्य दहेज प्रतिषेध अधिकारी से हलफनामा मांगा है कि पिछले दो साल में जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी के समक्ष कितनी शिकायतें आईं और कितनों का अभियोजन किया गया। नकद दहेज के आरोप पर देने वाले की आर्थिक स्थिति की जांच की गई या नहीं।
कोर्ट ने विवाह पंजीकरण के समय उपहारों की सूची की अनिवार्यता के सरकारी कदम की सराहना करते हुए कहा कि उपहारों की सूची सौंपने के कानून का कड़ाई से सरकार पालन कराए। कोर्ट ने सी एम एम कानपुर नगर के समक्ष याची के विरूद्ध चल रहे मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। याचिका की अगली सुनवाई 16 जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान ने अंकित सिंह व तीन अन्य की याचिका पर दिया है।
दाखिल कर बताया कि जिला प्रोबेशन अधिकारी को ही जिला दहेज प्रतिषेध अधिकारी नामित किया गया है। धारा 8 बी में स्पष्ट है कि शादी के एक माह के अंदर वर-वधू को मिले उपहारों की सूची दहेज प्रतिषेध अधिकारी को सौंपी जाएगी। जिसे सुरक्षित रखा जायेगा और एक रजिस्टर रखा जायेगा। अधिकारी पर कानूनी उपबंधो के पालन की जिम्मेदारी होगी।
कोर्ट ने कहा दहेज के आरोप के मामले बढ़ रहे हैं और किसी में गिफ्ट्स की लिस्ट का उल्लेख नहीं किया जा रहा है। जबकि कानून में वर-वधू पक्ष के हस्ताक्षर से उपहारों की सूची देना बाध्यकारी है। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है।
कोर्ट ने आई जी पंजीकरण द्वारा बिना उपहार सूची के विवाह पंजीकृत न करने के निर्देश को स्वागत योग्य कदम बताया है। इससे झूठे दहेज के केसों में कमी आयेगी।
कोर्ट को बताया गया कि सभी सरकारी विभागों को निर्देश दिया जा रहा है कि सभी सरकारी सेवक अपनी शादी में उपहारों की सूची देंगे। निदेशक महिला कल्याण ने 26 नवंबर को दहेज निषेध दिवस के रूप में मनायें जाने का आदेश जारी किया है। साथ ही दहेज प्रतिषेध अधिकारी को दहेज के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कोर्ट ने कहा दहेज विरोधी कानून बने 62 साल बीत गये। अभी भी उसका पूरी तरह से पालन नहीं किया जा रहा है। पुलिस दहेज केस की विवेचना में कानूनी उपबंधो की अनदेखी कर रही है और बिना तथ्यों की जांच किए बयान पर मनमानी चार्जशीट दाखिल कर रही है। सरकार अपनी शक्ति का इस्तेमाल कर इस अनियमितता को दुरुस्त करें।
भारत में दहेज प्रथा सदियों से चली आ रही है। आज भी शादियों में दहेज खुलेआम लिया और दिया जा रहा है, जिसका खामियाजा लड़कियों को भुगतना पड़ रहा है। आगे बढ़ने से पहले जरा आंकड़ों पर नजर डालते हैं-
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक 2022 में देश में कुल 58,24,946 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 4 लाख 45 हजार 256 मामले महिलाओं के खिलाफ हुए अपराध के हैं।