दिल्ली उच्च न्यायालय ने CAG रिपोर्ट पर विचार करने में देरी के लिए दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस प्रकार से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, वह आपकी ईमानदारी पर संदेह उत्पन्न करता है। अदालत ने इस मामले में पारदर्शिता की कमी और विलंब को गंभीरता से लिया है और इसे प्रशासनिक जिम्मेदारी में चूक करार दिया है न्यायालय ने सरकार के रवैये को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में जवाबदेही अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि CAG की रिपोर्ट जैसे अहम दस्तावेजों पर समय से कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को बाधित करता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार का यह रवैया केवल समय का दुरुपयोग नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी गहरा आघात है CAG रिपोर्ट किसी भी सरकार के वित्तीय प्रबंधन और संसाधनों के उपयोग का विश्लेषण प्रस्तुत करती है। ऐसे में इस पर देरी से विचार करना जनता के हितों की अनदेखी करने जैसा है। न्यायालय ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अदालत को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर करेगा अदालत ने यह भी कहा कि सरकार के पास CAG रिपोर्ट का समयबद्ध तरीके से विश्लेषण और निष्कर्ष निकालने की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है। देरी से काम न केवल सरकार की निष्ठा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि इससे प्रशासनिक अक्षमता भी उजागर होती है। अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से जवाब मांगा और शीघ्र कार्रवाई का निर्देश दिया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने CAG रिपोर्ट पर देरी के लिए सरकार की ईमानदारी पर सवाल उठाए

दिल्ली उच्च न्यायालय ने CAG रिपोर्ट पर विचार करने में देरी के लिए दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने सरकार के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि जिस प्रकार से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, वह आपकी ईमानदारी पर संदेह उत्पन्न करता है। अदालत ने इस मामले में पारदर्शिता की कमी और विलंब को गंभीरता से लिया है और इसे प्रशासनिक जिम्मेदारी में चूक करार दिया है न्यायालय ने सरकार के रवैये को अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में जवाबदेही अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि CAG की रिपोर्ट जैसे अहम दस्तावेजों पर समय से कार्रवाई नहीं की जाती, तो यह न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को बाधित करता है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करता है। अदालत ने स्पष्ट किया कि सरकार का यह रवैया केवल समय का दुरुपयोग नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही पर भी गहरा आघात है CAG रिपोर्ट किसी भी सरकार के वित्तीय प्रबंधन और संसाधनों के उपयोग का विश्लेषण प्रस्तुत करती है। ऐसे में इस पर देरी से विचार करना जनता के हितों की अनदेखी करने जैसा है। न्यायालय ने चेतावनी दी है कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यह अदालत को हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर करेगा अदालत ने यह भी कहा कि सरकार के पास CAG रिपोर्ट का समयबद्ध तरीके से विश्लेषण और निष्कर्ष निकालने की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है। देरी से काम न केवल सरकार की निष्ठा पर सवाल खड़े करता है, बल्कि इससे प्रशासनिक अक्षमता भी उजागर होती है। अदालत ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार से जवाब मांगा और शीघ्र कार्रवाई का निर्देश दिया