एक उपभोक्ता ने 3 लाख 70 हजार रुपये में कार खरीदी और उसी कार का बीमा 29 लाख रुपये का कराया। बाद में, उस कार की चोरी हो गई और उपभोक्ता ने बीमा क्लेम के लिए आयोग में शिकायत दर्ज कराई। यह मामला जब आयोग के सामने पहुंचा, तो सच सामने आ गया और बीमा के दावों को लेकर कार बेचने वाले पर गंभीर आरोप लग गए। जब उपभोक्ता ने कार की चोरी के बाद बीमा क्लेम की प्रक्रिया शुरू की, तो आयोग ने मामले की जांच की। जांच में यह खुलासा हुआ कि कार का बीमा असामान्य रूप से ज्यादा राशि के लिए कराया गया था, जो उसके वास्तविक मूल्य से काफी अधिक था। इस मामले में यह संदेह जताया गया कि कार को जानबूझकर ज्यादा मूल्य पर बीमा कराया गया, ताकि बीमा राशि का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त किया जा सके। आयोग ने जब मामले की गहनता से जांच की, तो पता चला कि बीमा कराने की प्रक्रिया में कुछ गंभीर अनियमितताएं थीं। उपभोक्ता का उद्देश्य बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए कार की चोरी की घटना का गलत फायदा उठाना था। इस मामले में आयोग ने पाया कि कार बेचने वाले ने जानबूझकर बीमा के लिए कार का मूल्य ज्यादा बताया, जिससे बीमा दावे में धोखाधड़ी का मामला सामने आया। आयोग ने कार विक्रेता पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा, उपभोक्ता और विक्रेता दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू की गई। इस मामले ने बीमा कंपनियों और कार विक्रेताओं के बीच पारदर्शिता की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट कर दिया। आयोग ने यह भी कहा कि बीमा क्लेम और कार की कीमत में इस तरह के भेदभावपूर्ण और धोखाधड़ी के प्रयासों को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए जाने चाहिए। इस मामले में आयोग की सख्त कार्रवाई ने यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उपभोक्ताओं को सही तरीके से न्याय मिलेगा
कार 3.7 लाख की खरीदी, 29 लाख का बीमा कराया, चोरी पर आयोग ने 10 लाख जुर्माना लगाया

एक उपभोक्ता ने 3 लाख 70 हजार रुपये में कार खरीदी और उसी कार का बीमा 29 लाख रुपये का कराया। बाद में, उस कार की चोरी हो गई और उपभोक्ता ने बीमा क्लेम के लिए आयोग में शिकायत दर्ज कराई। यह मामला जब आयोग के सामने पहुंचा, तो सच सामने आ गया और बीमा के दावों को लेकर कार बेचने वाले पर गंभीर आरोप लग गए। जब उपभोक्ता ने कार की चोरी के बाद बीमा क्लेम की प्रक्रिया शुरू की, तो आयोग ने मामले की जांच की। जांच में यह खुलासा हुआ कि कार का बीमा असामान्य रूप से ज्यादा राशि के लिए कराया गया था, जो उसके वास्तविक मूल्य से काफी अधिक था। इस मामले में यह संदेह जताया गया कि कार को जानबूझकर ज्यादा मूल्य पर बीमा कराया गया, ताकि बीमा राशि का एक बड़ा हिस्सा प्राप्त किया जा सके। आयोग ने जब मामले की गहनता से जांच की, तो पता चला कि बीमा कराने की प्रक्रिया में कुछ गंभीर अनियमितताएं थीं। उपभोक्ता का उद्देश्य बीमा क्लेम प्राप्त करने के लिए कार की चोरी की घटना का गलत फायदा उठाना था। इस मामले में आयोग ने पाया कि कार बेचने वाले ने जानबूझकर बीमा के लिए कार का मूल्य ज्यादा बताया, जिससे बीमा दावे में धोखाधड़ी का मामला सामने आया। आयोग ने कार विक्रेता पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा, उपभोक्ता और विक्रेता दोनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू की गई। इस मामले ने बीमा कंपनियों और कार विक्रेताओं के बीच पारदर्शिता की आवश्यकता को और अधिक स्पष्ट कर दिया। आयोग ने यह भी कहा कि बीमा क्लेम और कार की कीमत में इस तरह के भेदभावपूर्ण और धोखाधड़ी के प्रयासों को रोकने के लिए कड़े नियम बनाए जाने चाहिए। इस मामले में आयोग की सख्त कार्रवाई ने यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और उपभोक्ताओं को सही तरीके से न्याय मिलेगा