Report By : ICN Network
दिल्ली के ऐतिहासिक चांदनी चौक क्षेत्र में अतिक्रमण से जुड़े एक मामले में उच्च न्यायालय ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने पाया कि पीडब्ल्यूडी ने बिना अनुमति के एक उच्च स्तरीय समिति का गठन कर लिया, जबकि अदालत ने केवल सुझाव मांगे थे। इस कदम को अदालत ने अपनी अवमानना करार दिया।
मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की पीठ ने दिल्ली सरकार के स्थायी वकील से पूछा कि आखिर 26 मार्च को यह समिति गठित कैसे कर दी गई, जबकि 18 फरवरी को दिए गए निर्देश में ऐसा कोई आदेश नहीं था। अदालत ने इसको स्पष्ट रूप से निर्देशों की अवहेलना माना।
यह मामला चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा है, जिसमें लाल किला रोड से फतेहपुरी मस्जिद तक के क्षेत्र में हो रहे अवैध निर्माण और अतिक्रमण की शिकायत की गई थी। याचिका में कहा गया कि इलाके के पुनर्विकास की योजना अधूरी और अनियोजित है, जिससे व्यापारियों और आम नागरिकों को परेशानी हो रही है।
हाईकोर्ट ने इस विषय में पीडब्ल्यूडी से जवाब मांगा है और यह सुनिश्चित करने को कहा है कि जो भी अधिकारी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि चांदनी चौक एक ऐतिहासिक स्थल है और यहां के विकास कार्यों में पूरी पारदर्शिता और नियोजन जरूरी है।