Report By : ICN Network
कांग्रेस सांसद ने जयराम नरेश पत्र लिखकर सरकार और गृहमंत्री से पूछे सवाल कि बीते दिनों चूशुल सेक्टर में चरवाहों को चरागाहों तक जाने से रोकने और उन्हें परेशान करते हुए PLA सैनिकों का एक वीडियो सामने आया था। इसे लेकर विदेश मंत्रालय ने बेहद हल्की प्रतिक्रिया दी है, जो कि बिलकुल भी उचित नहीं है, लेकिन मोदी सरकार से यही उम्मीद की जा सकती है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कथित तौर पर कहा है कि “दोनों पक्ष पारंपरिक चरागाह क्षेत्रों से अवगत हैं और गतिरोध की किसी भी घटना से मौजूदा तंत्र के तहत निपटा जाता है।” यदि हम मौजूदा तंत्र की बात करें तो हमने देखा है कि कैसे मोदी सरकार 18 दौर की सैन्य वार्ता के बावजूद, पिछले चार वर्षों से पूर्वी लद्दाख में हमारे सैनिकों और चरवाहों को 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक जाने में रुकावट डाल रहे चीनियों को रोकने में विफल रही है। लेकिन यह मामला सिर्फ विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के ही अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। सीमा प्रबंधन गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है। यह सुनिश्चित करना गृह मंत्रालय की ज़िम्मेदारी है ,कि भारतीय चरवाहे भारतीय क्षेत्र के अंदर नागरिक के रूप में अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकें। हम गृह मंत्री अमित शाह से निम्न सवालों के जवाब की मांग करते हैं:- (1) LAC पर भारत के दावे वाले क्षेत्रों में मई 2020 के बाद से चीन के बॉर्डर गाईस द्वारा हमारे चरवाहों को परेशान किए जाने या पीछे धकेले जाने के कितने मामले आए हैं?
- (2) क्या इन टकरावों में हमारे चरवाहों को किसी तरह की चोट आई है या क्षति हुई है?
- (3) क्या उन्हें चीनी उत्पीड़न से बचाने के लिए कोई प्रयास किया गया है या वे ITBP के समर्थन के बिना ही खुद का बचाव करने को मजबूर हैं, जैसा कि वीडियो में दिख रहा है?