रेतीजी जमीन पर खुब-ब-खुद उग आने वाला पौधा सत्यनाशी औषधीय गुणों का खजाना है. इसके पौधे पर कांटे और इसके फूल पीले रंग के होते हैं. फूलों के अंदर श्यामले रंग के बीज होते हैं. आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे के मुताबिक इसमें शारीरिक कमजोरी को दूर करने का सभी गुण मौजूद है. इसके लगातार सेवन से महज 21 दिनों में नपुंसकता समाप्त हो सकती है
सत्यानाशी: रेतीली ज़मीन पर उगने वाला औषधीय पौधा, जो दूर कर सकता है शारीरिक कमजोरी
प्राकृतिक औषधियों में शामिल एक अनमोल जड़ी-बूटी सत्यानाशी, जो आमतौर पर रेतीली ज़मीन पर स्वतः उग आता है, आयुर्वेद में एक अत्यंत महत्वपूर्ण औषधीय पौधा माना जाता है। इसके पौधे पर छोटे-छोटे कांटे होते हैं और पीले रंग के फूल खिलते हैं। इस पौधे के भीतर श्यामले रंग के बीज पाए जाते हैं, जो अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हैं। आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे के अनुसार, यह पौधा शारीरिक कमजोरी को दूर करने में बेहद प्रभावी है। यदि इसे नियमित रूप से 21 दिनों तक सेवन किया जाए, तो नपुंसकता की समस्या समाप्त हो सकती है।सत्यानाशी: पुरुषों के लिए वरदान
आयुर्वेद के अनुसार, हमारे आस-पास उगने वाला यह पौधा पुरुषों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इस पौधे की जड़ और पत्तियों से निकलने वाले रस के सेवन से नपुंसकता जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। कहा जाता है कि 60 वर्ष का बुजुर्ग भी इसका सेवन कर युवा जैसी ऊर्जा महसूस कर सकता है। यदि इसकी पत्तियों को सुखाकर चूर्ण बनाकर नियमित रूप से लिया जाए, तो 30 दिनों में शरीर की कमजोरी समाप्त हो सकती है।आयुर्वेदाचार्यों की राय
पतंजलि के अनुभवी आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे, जो पिछले 45 वर्षों से आयुर्वेद के क्षेत्र में कार्यरत हैं, बताते हैं कि सत्यानाशी से प्राप्त रस की एक-एक बूंद में गजब की शक्ति होती है। इस जड़ी-बूटी पर शोध कर चुके वैद्य वासुदेव के अनुसार, इस पौधे के सेवन से सैकड़ों लोगों को न केवल नपुंसकता से राहत मिली है, बल्कि यह शरीर में नई ऊर्जा का संचार भी करता है। इस पौधे की पहचान करना बेहद आसान है। पहचान के मुख्य लक्षण:- यह पौधा रेतीली ज़मीन पर स्वतः उगता है।
- इसमें छोटे-छोटे कांटे होते हैं।
- इसके फूल पीले रंग के होते हैं।
- फूलों के अंदर श्यामले रंग के बीज होते हैं।
- पत्तियों को तोड़ने पर पीले रंग का दूध निकलता है, जिसे स्वर्णक्षीरी भी कहा जाता है।
सत्यानाशी के सेवन के दो तरीके
आयुर्वेदाचार्य भुवनेश पांडे के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कमजोरी, नपुंसकता या बुढ़ापे में थकान से परेशान है, तो उसे सत्यानाशी का सेवन जरूर करना चाहिए। इसके सेवन के दो प्रमुख तरीके हैं:- रस के रूप में सेवन: इस पौधे की जड़ और पत्तियों को पीसकर उससे निकलने वाले रस को रोज़ाना पिया जा सकता है। ध्यान रहे कि एक दिन में अधिकतम 20 मिलीलीटर रस ही लिया जाना चाहिए।
- चूर्ण के रूप में सेवन: सत्यानाशी की पत्तियों को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें और इसे सुबह-शाम एक-एक चम्मच दूध या पानी के साथ सेवन करें।