Report By : ICN Network
दिल्ली विधानसभा चुनाव: भाजपा के सामने 27 साल की सत्ता वापसी की चुनौती
दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी (आप) के मजबूत गढ़ को भेदना है। दिल्ली की सत्ता से भाजपा पिछले 27 वर्षों से दूर है। 1998 के बाद से पार्टी को राजधानी में सत्ता का स्वाद चखने का मौका नहीं मिला है। पहले कांग्रेस के लंबे शासनकाल ने भाजपा को रोककर रखा, और उसके बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने राजनीतिक परिदृश्य पर कब्जा जमा लिया
दिल्ली की राजनीति में 1998 से पहले भाजपा का प्रभाव मजबूत था। 1993 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज कर सत्ता हासिल की थी। लेकिन 1998 में शीला दीक्षित के नेतृत्व में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया। इसके बाद कांग्रेस ने 15 साल तक लगातार तीन कार्यकालों तक दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाए रखा। 2013 में आप के उभार ने दिल्ली की राजनीति को नया मोड़ दिया। अरविंद केजरीवाल ने जनता से जुड़े मुद्दों और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर जनता का भरोसा जीता
2015 और 2020 के विधानसभा चुनावों में आप ने भारी बहुमत के साथ जीत दर्ज की। भाजपा के लिए यह स्थिति कठिन साबित हुई है। राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत स्थिति रखने वाली पार्टी दिल्ली में सत्ता हासिल करने में नाकाम रही है। अब 2025 के चुनावों में भाजपा की रणनीति इस पर निर्भर करेगी कि वह कैसे आप के मजबूत गढ़ को चुनौती देती है और जनता का भरोसा दोबारा जीतती है
भाजपा के सामने दिल्ली में अपनी साख मजबूत करने और आप के किले को भेदने की बड़ी चुनौती है