सुधीर को अंतिम विदाई देते हुए पत्नी आवृत्ति ने कहा, “हम तुम्हारे गर्वित हैं” सुधीर की शहादत ने पूरे परिवार और समाज को झकझोर दिया। उनके पार्थिव शरीर के पास खड़ी उनकी पत्नी आवृत्ति नैथानी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनकी इस स्थिति ने वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर दीं। सुधीर के साहस और बलिदान को याद करते हुए आवृत्ति ने अपने पति को विदाई दी। श्रद्धांजलि अर्पित करते समय उन्होंने सुधीर के पार्थिव शरीर पर एक चिट्ठी रखी। उस चिट्ठी में शायद वह सारी बातें लिखी थीं, जो वह उनसे कहना चाहती थीं। चिट्ठी रखते हुए आवृत्ति की आंखों में उनके पति के लिए गहरा सम्मान और अपार दुख झलक रहा था। सुधीर के प्रति अपने मन के भाव व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “हम तुम्हारे गर्वित हैं, सुधीर।” उनकी आवाज टूट रही थी, लेकिन उनके शब्दों ने वहां मौजूद हर किसी को गहराई से छू लिया। आवृत्ति के ये शब्द सिर्फ उनके पति के प्रति नहीं, बल्कि उन सभी के प्रति श्रद्धांजलि थे, जो देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं। सुधीर के बलिदान ने देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता को अमर कर दिया है। उनके इस अदम्य साहस और देशभक्ति ने एक मिसाल कायम की है। परिवार और समाज को इस क्षति का गम तो है, लेकिन साथ ही सुधीर के बलिदान पर गर्व भी है। आवृत्ति के इन शब्दों ने भावनाओं का सागर बहा दिया, और सभी ने सुधीर को श्रद्धांजलि देते हुए उनके बलिदान को नमन किया। उनका यह बलिदान हमेशा सभी के दिलों में जिंदा रहेगा
सुधीर की पत्नी आवृत्ति, श्रद्धांजलि देते हुए रो पड़ीं, बोलीं- “हम तुम्हारे गर्वित हैं
सुधीर को अंतिम विदाई देते हुए पत्नी आवृत्ति ने कहा, “हम तुम्हारे गर्वित हैं” सुधीर की शहादत ने पूरे परिवार और समाज को झकझोर दिया। उनके पार्थिव शरीर के पास खड़ी उनकी पत्नी आवृत्ति नैथानी की आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनकी इस स्थिति ने वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर दीं। सुधीर के साहस और बलिदान को याद करते हुए आवृत्ति ने अपने पति को विदाई दी। श्रद्धांजलि अर्पित करते समय उन्होंने सुधीर के पार्थिव शरीर पर एक चिट्ठी रखी। उस चिट्ठी में शायद वह सारी बातें लिखी थीं, जो वह उनसे कहना चाहती थीं। चिट्ठी रखते हुए आवृत्ति की आंखों में उनके पति के लिए गहरा सम्मान और अपार दुख झलक रहा था। सुधीर के प्रति अपने मन के भाव व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “हम तुम्हारे गर्वित हैं, सुधीर।” उनकी आवाज टूट रही थी, लेकिन उनके शब्दों ने वहां मौजूद हर किसी को गहराई से छू लिया। आवृत्ति के ये शब्द सिर्फ उनके पति के प्रति नहीं, बल्कि उन सभी के प्रति श्रद्धांजलि थे, जो देश की सेवा में अपने प्राण न्योछावर कर देते हैं। सुधीर के बलिदान ने देश के लिए उनकी प्रतिबद्धता को अमर कर दिया है। उनके इस अदम्य साहस और देशभक्ति ने एक मिसाल कायम की है। परिवार और समाज को इस क्षति का गम तो है, लेकिन साथ ही सुधीर के बलिदान पर गर्व भी है। आवृत्ति के इन शब्दों ने भावनाओं का सागर बहा दिया, और सभी ने सुधीर को श्रद्धांजलि देते हुए उनके बलिदान को नमन किया। उनका यह बलिदान हमेशा सभी के दिलों में जिंदा रहेगा