Report By : ICN Network
दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपीएस द्वारका द्वारा बिना मंजूरी के स्कूल फीस बढ़ाने और छात्रों के नाम काटने के मामले में सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया नियमों के खिलाफ है और बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट ने स्कूल को निर्देश दिए हैं कि जिन छात्रों के नाम फीस न देने की वजह से काटे गए थे, उन्हें दोबारा दाखिला दिया जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन अभिभावकों ने 2024-25 सत्र के लिए फीस का भुगतान नहीं किया है, वे अभी सिर्फ बढ़ाई गई फीस का 50 प्रतिशत जमा करें, जिसके बाद बच्चों को स्कूल में दोबारा प्रवेश दिया जाए। यह कदम बच्चों की पढ़ाई को प्रभावित होने से बचाने के लिए जरूरी बताया गया।
दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने स्कूल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। इसमें कहा गया है कि किसी भी निजी स्कूल को बिना विभागीय अनुमति के फीस बढ़ाने का अधिकार नहीं है। यदि स्कूल इस नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं देता है, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है।
कोर्ट ने मामले में दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाए ताकि भविष्य में कोई भी स्कूल छात्रों के साथ इस प्रकार का व्यवहार न करे। कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और फीस विवाद की वजह से किसी भी बच्चे की पढ़ाई नहीं रुकनी चाहिए।
इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी, लेकिन कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बाद अब स्कूलों पर नियमों के तहत काम करने का दबाव बढ़ गया है। यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।