दिल्ली हाईकोर्ट ने समाज में बुजुर्गों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर चिंता जताई है। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने अपने हाल के फैसले में कहा कि वरिष्ठ नागरिक अपने परिवार के सदस्यों को जो उपहार विलेख (गिफ्ट डीड) देते हैं उसमें ‘’प्रेम और स्नेह’’ की एक निहित शर्त होती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि गिफ्ट डीड के बाद वरिष्ठ नागरिक की देखभाल नहीं की जाती, तो इसे धोखाधड़ी माना जाएगा। इसे शून्य घोषित किया जा सकता है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी करते हुए 88 वर्षीय दलजीत कौर की ओर से अपनी पुत्रवधू वरिंदर कौर को दी गई संपत्ति के उपहार विलेख को रद्द करने का निर्णय बरकरार रखा गया। दलजीत कौर ने 2015 में अपनी जनकपुरी की संपत्ति अपनी पुत्रवधू वरिंदर कौर को गिफ्ट डीड के जरिये हस्तांतरित की थी।
हालांकि, इसके बाद उन्हें उपेक्षा, चिकित्सा देखभाल की कमी और यहां तक कि धमकियों का सामना करना पड़ा। दलजीत कौर ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की धारा 23 के तहत रखरखाव ट्रिब्यूनल में आवेदन दायर किया। ट्रिब्यूनल ने डीड रद्द करने से इनकार कर दिया, लेकिन स्थानीय पुलिस को उनकी सुरक्षा की निगरानी का निर्देश दिया। इसके बाद, जुलाई 2023 में जिला मजिस्ट्रेट ने इस निर्णय को पलटते हुए गिफ्ट डीड को रद्द करने का आदेश दिया।