सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की घटना को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि यह केवल न्यायपालिका या वकील समुदाय का नहीं, बल्कि पूरे समाज का अपमान है।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कुछ घटनाएं केवल निंदा योग्य नहीं होतीं, बल्कि उनसे निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता होती है। अदालत ने यह टिप्पणी उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें सोशल मीडिया से इस घटना के वीडियो और संबंधित वकील के बयान को हटाने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने अदालत को बताया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले से सुनवाई कर रहा है। वहाँ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता तेजस्वी मोहन को निर्देश दिया कि वे सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले में आवेदन दाखिल करें और पक्षकार बनने की कोशिश करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि याचिकाकर्ता वहां पक्षकार नहीं बन पाते, तो हाईकोर्ट इस याचिका पर दोबारा विचार करेगा। इस मामले की अगली सुनवाई 4 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
गौरतलब है कि यह घटना 6 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में हुई थी, जब एक वकील ने अदालत में हंगामा करने का प्रयास किया और CJI गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की। हालांकि, वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने तत्परता दिखाते हुए वकील को तुरंत रोक लिया और अदालत से बाहर ले गए।
बाहर जाते समय वकील को यह कहते सुना गया कि, “हम सनातन का अपमान नहीं सहेंगे।” आरोपी वकील की पहचान राकेश किशोर के रूप में हुई है, जिनका सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में पंजीकरण वर्ष 2011 में हुआ था।